यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
तसव्वुफ अथवा सूफीमत कुछ भी हो, पर इतना अवश्य निश्चित है कि तसव्वुफ का उदय फिर तभी हो सकता है जब भारत की अध्यात्म विद्या का फिर मुसलिम देशो में प्रकाश और अरबी, ईरानी तथा तुकी आदि प्रसिद्ध मुसलिम भाषाओं में संस्कृत ग्रंथों का अनुवाद हो । पर यहाँ तो सिरे से बयार ही कुछ और बह रही है। जिधर देखो संस्कृत का विरोध हो रहा है। फिर इसे करें कौन ? तो भी एक अभिज्ञ ईरानी मनीषी का कहना यही है-
- India may lead the whole of Western Asia, provided
the vast moral a plulusophical treasure lying leidden in Sanskrit, is translittal, commenteri upon aud explained in Iranian and raise and other more important Isiatic languages." किन्तु क्या कभी ऐसा हो सकता है ? -- (१) आउटलाइस भाव इसलामिक कलचर, भाग२, पृ० ५४८ ।