पृष्ठ:तितली.djvu/१०४

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मिलने का अवसर न मिले।

मैं जाता तो हूं; पर यदि वह मुझसे टर्राया और तुम फिर चुप रह गए तो यह अच्छी बात न होगी—कहकर सुखदेव चौबे रामजस के खेत पर चले। वहां लड़कों की भीड़ जुटी थी। पूरा भोज का-सा जमघट था। कोई बेकार नहीं। कोई उछल रहा है, कोई गा रहा है, कोई जौ के मुट्टों की पत्तियां जलाकर झुलस रहा है। रामजस ने जैसे टिाड्डियों को बुला लिया है। वह स्थिर होकर यह अत्याचार अपने ही खेत पर करा रहा है। जैसे सर्वनाश में उसको विश्वास हो गया हो। अपनी झोपड़ी में से, जो रखवाली के लिए वहां पड़ी थी, सूखे खरों को खींचकर लड़कों को दे रहा था। लड़कों में पूरा उत्साह था। जिसके यहां कोल्हू चल रहा था, वे दौड़कर अपने-अपने घरों से ईख का रस ले आते थे। ऐसा आनन्द भला वे कैसे छोड़ सकते थे। एक लड़के ने कहा–रामजस दादा, कहो तो ढोल ले आवें।

नहीं बे, रात को चौताल गाया जाएगा। अभी तो खब पेट भरकर खा ले। फिर...

अभी बात पूरी न हो पाई थी कि सामने से सुखदेव ने कहा—यह क्या हो रहा है रामजस! कुछ पीछे की भी सुध है? क्या जेल जाने की तैयारी कर रहे हो?

क्या तुम हथकड़ी लेकर आये हो?

अरे नहीं भाई! मैं तो तुमको समझाने आया हूं। देखो ऐसा काम न करो कि सब कुछ चौपट हो जाने के बाद जेल भी जाना पड़े। यह खेत..

यह खेत क्या तुम्हारे बाप का है? मैंने इसे छाती का हाड़ तोड़कर जोता-बोया है; मेरा अन्न है, मैं लुटा देता हूं, तुम होते कौन हो?

पीछे मालूम होगा, अभी तुम मधुबन के बहकाने में आ गये हो, जब चक्की पीसनी होगी; तब हेकड़ी भूल जाओगे।

कहे देता हूं कि सीधे-सीधे चले जाओ, नहीं तो तुम्हारी मस्ती उतार दूंगा। कहकर रामजस सीधा तनकर खड़ा हो गया। सुखदेव ने भी क्रोध में आकर कहा–दूंगा एक झापड़, दांत झड़ जायेंगे। मैं तो समझा रहा हूं, तू बहकता जा रहा है।

तो तुमने मुझको भी मधुबन भइया समझ रखा है न। अच्छा तो लेते जाओ बच्चू!कहकर रामजस ने लाठी घुमाकर हाथ उसके मोढ़े पर जड़ दिया। जब तक चौबे संभले तब तक उसने दुहरा दिया।

चौबेजी वहीं लेट गये। लड़के इध-उधर भाग चले। गांव भर में हल्ला मचा। लोग इधर-उधर से दौड़कर आये।

महंगू ने कहा—यह बड़ा अंधेर है। ऐसी नवाबी तो नहीं देखी। भला कुर्क हुए खेत को इस तरह तहस-नहस करना चाहिए।

पांडेजी ने कहा-चौबेजी को तो पहले उठा ले चलो, यहां खड़े तुम लोग क्या देख रहे

पांडेजी के कहने पर लोगों को मूर्छित चौबे का ध्यान आया। उन्हें उठाकर जब लोग जा रहे थे तब मधुबन वहां आया। उसने सुन लिया कि सुखदेव पिट गया। मधुबन ने क्षणभर में सब समझ लिया। उसने कहा-रामजस! अब यहां क्या कर रहे हो? चलो मेरे साथ।

उसने कहा—ठहरो दादा, लगे हाथ इस महंगू को भी समझा दें।

मधुबन ने उसका हाथ पकड़कर कहा—अरे महंगू बूढ़ा है। उस बेचारे ने क्या किया है?