सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:तितली.djvu/१२८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

लड़ना होगा, जब तक वे लौट नहीं आते।

फिर ठहरकर तितली ने कहा--जी मिचलाता है, थोड़ा जल दो जीजी!

अंततोगत्वा तितली के उस उत्साह भरे पीले मुंह को राजो आश्चर्य से देख रही थी। मलिया ने आकर उसका पैर छू लिया। बनजरिया में दिया जल उठा।