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पृष्ठ:तितली.djvu/१३७

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होगा। क्यों महंगू? तुमको तो यह प्रस्ताव मान लेना चाहिए।

शैला चुपचाप तितली और अपने संबंध को विचार रही थी। वह सोच रही थी कि तितली क्यों मुझसे इतना अलग रहना चाहती है। मैं कहती हूं कि 'यहां बैठ जाओ' तो वह बैठना ही अपमान समझती है।

वाट्सन ने शैला के कान में धीरे-से कहा—तुम चुप क्यों हो? यह तो वही लड़की मालूम होती है, जिसके ब्याह में मैं उपस्थित था। ठीक है न?

शैला ने दुःख से कहा-हां, इसका शेरकोट तो जमींदार ने बेदखल करा लिया। अब बनजरिया बची है; उस पर भी लगान लग गया। पहले माफी थी! और वाट्सन! तुमने तो यह न सुना होगा कि इसके पति को डकैती के अपराध में कारावास का दंड मिला है।

वाट्सन ने एक बार फिर उस तेजस्विनी तितली को देखा। वही एक किसान थी, जिसने सबके पहले बदले को प्रसन्नता से स्वीकार किया है। महंगू तो इस प्रस्ताव को सुनकर और भी क्रुद्ध हो गया। उसे अपने खेत जहां पर हैं वहीं रहना अच्छा मालूम होता है; क्योंकि उसके अंतर में यह अज्ञात भावना है कि उसके लड़के-पोते एक में न रहेंगे, फिर एक जगह खेत इकट्ठा लेकर क्या होगा। उसने गुर्राकर कहा—साहब! आप मालिक हैं; जो चाहें कीजिए। कहिए तो गांव ही छोड़कर चले जाएं।

वाट्सन इस उत्तर से अव्यवस्थित हो गए। उसके मन में झटका लगा क्या हम किसानों के हित के विरुद्ध कुछ करने जा रहे हैं?—तुरंत ही उन्होंने तितली से घूमकर पूछा-

क्या दूसरा खेत तुम नहीं पसंद कर सकती? और भी तो खेत तुम्हारे पास हैं?

नहीं, दूसरे खेत मेरे काम के नहीं! यदि बदलना हो तो उसी से बदल लूंगी?

वाट्सन ने देखा कि यही पहला अवसर है कि एक किसान बदलने का प्रस्ताव करता है—वह भी उचित; तो फिर अस्वीकार कैसे किया जाए।

वाट्सन ने कहा—यह बदला फिर मान लिया जाए; क्योंकि खेत के परते में भी कोई अंतर नहीं है।

महंगू खिसिया गया। उसकी आंखो में फिर आंसू निकलने लगे। तब तितली ने अपने बच्चे को लहराते हुए कहा तो मैं जाती हूं, बच्चा भूखा है! धन्यवाद!

शैला ने देखा कि एक ठोकर खाया हुआ हृदय अपनी दुरावस्था में उपेक्षा से उनका तिरस्कार कर रहा है, शैला इंद्रदेव से ब्याह कर लेने पर बहुत दिनों तक धामपुर नहीं आई। लिखा-पढ़ी करने पर इस सर्दी में वाट्सन अपना काम पूरा करने आए। तब तो उसको आना ही पड़ा, और आकर भी वह तितली से मिलने का अवसर न पा सकी; क्योंकि वाट्सन साथ ही आए थे। इधर इंद्रदेव ने भी बड़े दिनों में वहीं आने के लिए कह दिया था। शैला कुछ-कुछ मानसिक चंचलता में थी। तितली को यह अखर गया। वह दुर्बल थी, असहाय थी। उसकी खोज लेना बड़े लोगों का धर्म हो जाता है इसीलिए तितली काम करके तुरंत लौट जाना चाहती थी। उसने जो वाक्य अपने जाने के लिए कहा, वह भी सीधे शैला से नहीं। तब भी शैला कुर्सी से उठकर तितली के पास आई। उसका हाथ पकड़े हुए दूसरे कमरे में चली गई।

वाट्सन ने तितली को एक शुभ लक्षण समझा। भला इस स्त्री ने पहले-पहल उस काम की महत्ता को समझा तो। काम आरंभ हो गया। अब धीरे-धीरे वह किसानों को सांचे में