ढाल लेगा। उसे शैला की मनस्तुष्टि के लिए क्या-क्या नहीं कर लेना चाहिए। उसने काम को आगे बढ़ाया।
शैला ने तितली के बच्चे को उसकी गोद से लेकर कहा—बड़ा सुंदर और प्यारा बच्चा है!
परंतु अभागा है—तितली ने कहा।
तुम क्या अभी उसको प्यार करती हो? वह...। शैला आगे कुछ बुरे शब्द मधुबन के लिए न कह सकी।
तितली ने कहा—वह! डाकू, हत्यारा और चोर था या नहीं, सो तो मैं नहीं कह सकती; क्योंकि चौबीसों घंटे मैं साथ रही; फिर भी शैला! वह...।
आगे वह भी कुछ न बोल सकी, उसकी आंखो से आंसू बहने लगे। शैला ने बात का ढंग बदलने के लिए कहा—अच्छा, तुमसे एक बात पूछती हूं।
क्या?
यही कि उस दिन तुम बिना कहे-सुने क्यों चली आईं। इंद्रदेव ने तो तुम्हारी सहायता करने के लिए कहा था न?
मैं यह सब समझती हूं। वे कुछ करते भी, इसका मुझे विश्वास है; परंतु मैंने यही समझा कि मुझे दूसरों के महत्त्व-प्रदर्शन के सामने अपनी लघुता न दिखानी चाहिए। मैं भाग्य के विधान से पीसी जा रही हूं। फिर उसमें तुम्हारे सुख से घसीट कर, क्यों अपने दुख का दृश्य देखने के लिए बाध्य करूं? मुझे अपनी शक्तियों पर अवलम्ब करके भयानक संसार से लड़ना अच्छा लगा। जितनी सुविधा उसने दी है, उसी की सीमा में लडूंगी, अपने अस्तित्व के लिए। तुमको साल पर अब यहां आने का अवसर मिला है। तो मेरे समीप जो है उसी को न मैं पकड़ सकुंगी। वह बनजरिया! वे ही थोड़े-से वृक्ष! और साधारण-सी खेती! तब मुझे यहां पाठशाला चलानी पड़ी। जानती हो, आज मेरे परिवार में कितने प्राणी हैं? दो तुम यहीं देख रही हो। राजो, मलिया और तीन छोटी-छोटी अनाथ लड्कियां; जिनमें कोई भी छ: माह से अधिक बड़ी नहीं है! और अभी जेल से छूटकर आया हुआ रामजस, जिसके लिए न एक बित्ता भूमि है और न एक दाना अन्न!
तीन छोटी-छोटी लड्कियां हैं? वे कहां से आ गईं? शैला ने आश्चर्य से पूछा।
संसार पर में परम अछूत! समाज की निर्दय महत्ता के काल्पनिक दम्भ का निदर्शन! छिपाकर उत्पन्न किए जाने योग्य सृष्टि के बहुमूल्य प्राणी, जिन्हें उनकी माताएं भी छूने में पाप समझती हैं। व्यभिचार की सन्तान!
शैला की आंखे जैसे बढ़ गईं। उसने तितली का हाथ पकड़कर कहा—बहन! तुम यथार्थ में बाबाजी की बेटी हो। तुम्हारा काम प्रशंसनीय है; यहां वाले क्या तुम्हारे काम से प्रसन्न हैं?
- हों या न हों, मुझे इसकी चिंता नहीं। मैंने अपनी पाठशाला चलाने का दृढ़ निश्चय
किया है। कुछ लोगों ने इन लड़कियों के रख लेने पर प्रवाद फैलाया। परंतु वे इसमें असफल रहे। मैं तो कहती हूं कि यदि सब लड़कियां पढ़ना बंद कर दें, तो मैं साल भर में ही ऐसे कितनी ही छोटी-बड़ी अनाथ लड़कियां एकत्र कर लूंगी, जिनसे मेरी पाठशाला और खेती-बाड़ी बराबर चलती रहेगी। मैं इसे कन्या-गुरुकुल बना दूंगी! तितली का मुंह उत्साह से दमकने लगा, और शैला विमुग्ध होकर उसकी मन-ही-मन सराहना कर रही थी। फिर