पृष्ठ:तितली.djvu/१४३

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सके। उनके जीवन के चारों ओर सीमा की टेढ़ी-मेढ़ी रेखा अपनी विभीषिका से उन्हें व्यस्त रखती है। उनको संदेह है, और होना भी चाहिए। क्या मैं बिल्कुल निष्कपट हूं? क्या । वाट्सन? नहीं-नहीं वह केवल स्निग्ध भाव और आत्मीयता का प्रसार है। तो भी मैं इंद्रदेव से विरक्त क्यों हूं? मेरे पास इसका कोई उत्तर नहीं। इतने थोड़े-से समय में यह परिवर्तन! मैंने इंद्रदेव के समीप होने के लिए जितना प्रयास किया था, जितनी साधना की थी, वह सब क्या ऊपरी थी? और वाट्सन! फिर वही वाट्सन!

उसने झल्लाकर दूसरी ओर मुंह फेर लिया।

उधर से ही एक डोंगी पर वाट्सन, अपने हाथ से डंडा चलाते हुए, आ रहे थे। सामने मल्लाह सिकुड़ा हुआ बैठा था। बादल फट गया था। सूर्य का बिम्ब पूरा निकल

आया था। गंगा धीरे-धीरे बह रही थी। संकल्प-विकल्प के कुलों में मधुर प्रणयकल्पना-सी वह धारा सुंदर और शतिल थी।

वाट्सन ने डोंगी तरि पर लगा दी। शैला ने झुंझलाहट से उसकी ओर देखना चाहा, परंतु वह मुस्कुराकर नाव पर चढ़ गई।

अब मांझी खेने लगा। दोनों आस-पास बैठे थे। दोनों चुप थे। नाव धीरे-धीरे बह रही

वाट्सन ने हंसी से कहा—शैला! तो तुम गंगा-स्नान करने सवेरे नहीं आतीं। फिर कैसी हिंदू!

नाव बीच में चली जा रही थी। शैला ने देखा, एक ब्राह्मण-परिवार तट पर उस शीतकाल में नहा रहा है। शैला ने हंसकर कहा—तुम भी प्रति रविवार को गिरजे में नहीं जाते, फिर कैसे ईसाई!

तब तो न तुम हिंदू और न मैं ईसाई!

बस केवल स्त्री और पुरुष!—सहसा शैला के मुंह से अचेतन अवस्था में निकल गया। वाट्सन ने चौंककर उसकी ओर देखा। शैला झेंप-सी गई। वाटसन हंस पड़े।

नाव चली जा रही थी। कुछ काल तक दोनों ही चुप हो गए, और गम्भीरता का अभिनय करने लगे। फिर ठहरकर वाट्सन ने कहा—शैला तुम बुरा तो न मानोगी? पूछो न क्या है?

तुम इस विवाह से सुखी हो!–अरे—मैंने कहा, संतुष्ट हो न?

शैला ने दीनता से वाट्सन को देखा। उसके हृदय में सूनापन था, वही अट्टहास कर उठा। वाट्सन ने सानना के स्वर में कहा—शैला तुमने भूल की है, तो उसका प्रतिकार भी है। मैं समझता हूं कि तुमने अपने ब्याह की रजिस्ट्री सिविल मैरिज के अनुसार अवश्य करा ली होगी।

शैला को जैसे थप्पड़ लगा, वाट्सन के प्रश्न में जो गूढ़ रहस्य था; वह भयानक होकर शैला के सामने मूर्तिमान हो गया। उसने दोनों हाथों में अपना मुंह छिपा लिया। उसने कहा-वाट्सन, मुझे क्षमा करोगे। स्त्रियों को सब जगह ऐसी ही बाधाएं होगी। क्या तुम उनकी दुर्बलता को सहानुभूति से नहीं देख सकोगे?

इसीलिए मैं आज तक अविवाहित हूं। सम्भव है कि जीवन पर ऐसा ही रहूं। मुझसे यह अत्याचार न हो सकेगा। उहूं, कदापि नहीं।