पृष्ठ:तितली.djvu/६४

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शैला का छोटी कोठी से भी हट जाना रामदीन को बहुत बुरा लगा। वह माधुरी, श्यामदुलराि और इंद्रदेव से भी मन-ही-मन जलने लगा। लड़का ही तो था, उसे अपने साथ स्नेह से व्यवहार करने वाली शैला के प्रति तीव्र सहानुभूति हुई। वह बिना समझे- बूझे मलिया के कहने पर विश्वास कर बैठा कि शैला को छोटी कोठी से हटाने में गहरी चालबाजी है, अब वह इस गांव में भी नहीं रहने पावेगी, नील-कोठी में भी कुछ ही दिनों की चहल-पहल है। रामदीन रोष से भर उठा। वह कोठी का नौकर है। माधुरी ने कई हेर-फेर लगाकर उसे नील-कोठी जाने से रोक लिया। मेम साहब का साथ छोड़ना उसे अखर गया। शैला ने जातेजाते उसे एक रुपया देकर कहा–रामदीन, तुम यहीं काम करो। फिर मैं मांजी से कहकर बुला लूंगी! अच्छा न! लड़के का विद्रोही मन इस सांत्वना से धैर्य न रख सका। वह रोने लगा। शैला के पास कोई उपाय न था। वह तो चली गई। किंतु, रामदीन उत्पाती जीव बन गया। दूसरे ही दिन उसने लैम्प गिरा दिया। पानी भरने का तांबे का खड़ा लेकर गिर पड़ा। तरकारी धोने ले जाकर सब कीचड़ से पर लाया। मलिया को चिकोटी काटकर भागा। और, सबसे अधिक म किया उसने माधुरी के सामने तरेर कर देखने का, जब उसको अनवरी को मुंह चिढ़ाने के लिए वह डांट रही थी। उसका सारा उत्पात देखते-देखते इतना बड़ा कि बड़ी कोठी में से कई चीजें खो जाने लगी। माधुरी तो उधार खाए बैठी थी। अब अनवरी की चमड़े की छोटी-सी शैली भी गुम हो गई; तब तो रामदीन पर बे-भाव की पड़ी। चोरी के लिए वह अच्छी तरह पिटा; पर स्वीकार करने के लिए वह किसी भी तरह प्रस्तुत नहीं। माधुरी ने स्वभाव के अनुसार उसे खूब पीटने के लिए चौबे से कहा। चौबेजी ने कहा —यह पाजी पीटने से नहीं मानेगा। इसे तो पुलिस में देना ही चाहिए। ऐसे लड़कों की दूसरी दवा ही नहीं। - माधुरी ने इंद्रदेव को बुलाकर उसका सब वृत्तांत कुछ नमक-मिर्च लगाकर सुनाते हुए पुलिस में भेजने के लिए कहा। इंद्रदेव ने सिर हिला दिया। वह गंभीर होकर सोचने लगे। बात क्या है! शैला के यहां से जाते ही रामदीन को हो क्या गया! इसमें भी आप सोच रहे हैं! भाई साहब, मैं कहती हूं न, इसे पुलिस में अभी दीजिए, नहीं तो आगे चलकर यह पक्का चोर बनेगा और यह देहात इसके अत्याचार से लुट जाएगा। —माधुरी ने झल्लाकर कहा। इंद्रदेव को माधुरी की इस भविष्यवाणी पर विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने कहा-लड़कों को इतना कड़ा दंड देने से सुधार होने की संभावना तो बहुत ही कम होती है, उलटे उनके स्वभाव में उच्छृखलता बढ़ती है। उसे न हो तो शैला के पास भेज दो। वहां ठीक रहेगा। माधुरी आग हो गई—उन्हीं के साथ रहकर तो बिगड़ा है। फिर वहां न भेजूंगी। मैं कहती हूं भाई साहब, इसे पुलिस में भेजना ही होगा।