पृष्ठ:तितली.djvu/८७

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कोई चरित्र देखकर चले गए होंगे। सुनिए, वह घटना मैं सुनाती हूं जो मेरे सामने हुई थी-

उस दिन मां के बहुत कहने पर मैं रात को उन्हें व्यालू कराने के लिए थाली हाथ में लिये, कमरे के पास पहुंची। मुझे ऐसा मालूम हुआ कि भीतर कोई और भी है। मैं रुकी। इतने में सुनायी पड़ा-बस, बस, बस, एक ग्लास मैं पी चुकी, और लूंगी तो छिपा न सकूँगी। सारा भंडाफोड़ हो जाएगा।

उन्होंने कहा—मैं भंडाफोड़ होने से नहीं डरता। अनवरी! मैंने अपने जीवन में तुम्हीं को तो ऐसा पाया है, जिससे मेरे मन की सब बातें मिलती हैं! मैं किसी की परवाह नहीं करता, मैं किसी का दिया हुआ नहीं खाता, जो डरता रहूं। तुम यहां क्यों पड़ी हो, चलो कलकत्ते में? तुम्हारी डाक्टरी ऐसे चमकेगी कि तुम्हारे नाम का डंका पिट जाएगा। हम लोगों का जीवन बड़े सुख से कटेगा।

लम्बी-चौड़ी बातें करने वाले मैंने भी बहुत-से देखे हैं। निबाहना सहज नहीं है बाबू साहब! अभी बीबी-रानी सुन लें तो आपकी...

चलो, देखा है तुम्हारी बीबी-रानी को। मैं...

मैं अधिक सुन न सकी। मेरा शरीर कांपने लगा। मैंने समझा कि यह मेरी दुर्बलता है। मेरा अधिकार मेरे ही सामने दूसरा ले और मैं प्रतिवाद न करके लौट जाऊं, यह ठीक नहीं। मैं थाली लिये घस पड़ी। अनवरी अपने को छुड़ाती हई उठ खड़ी हई। उसका मंह विवर्ण था। शराब की महक से कमरा भर रहा था। उन्होंने अपनी निर्लज्जता को स्पष्ट करते हुए पूछा-क्या है?

भला मैं इसका क्या उत्तर देती! हां, इतना कह दिया कि क्षमा कीजिए, मैं नहीं जानती थी कि मेरे आने से आप लोगों को कष्ट होगा।

यह बड़ी असभ्यता है कि बिना पूछे किसी के एकांत में...

उनकी बात काटकर अनवरी ने कहा-बीबी-रानी! मैं कलकत्ते में डाक्टरी करने के संबंध में बातें कर रही थी।

यह भी उसका दुस्साहस था! मैं तो उसका उत्तर नहीं देना चाहती थी। परंतु उसकी ढिठाई अपनी सीमा पार कर चुकी थी। मैंने कहा—बड़ी अच्छी बात है, मिस अनवरी! आप कब जाएगी।

मैं अधिक कुछ न कह सकी। थाली रखकर लौट आई। दूसरे दिन सवेरे ही अनवरी तो बनारस चली गई और उन्होंने कलकत्ते की तैयारी की! मां ने बहुत चाहा कि वे रोक लिये जाएं। उन्होंने कहलवाया भी, पर मैं इसका विरोध करती रही। मैं फिर सामने न गई। वह चले गए।

शैला ने सांत्वना देते हुए कहा—जो होना था सो हो गया। अब दुख करने से क्या लाभ?

हम लोगों का भी आज शहर जाना निश्चित है। मां कहती हैं कि अब यहां न रहूंगी। भाई साहब का पता चला है कि बनारस में ही हैं। उन्होंने बैरिस्टरी आरंभ कर दी है। हां, कोठी पर वह नहीं रहते, अपने लिए कहीं बंगला ले लिया है।

वह और कुछ कहना चाहती थी कि बीच ही में किसी ने पुकारा-बीबी-रानी!

क्या है?—माधुरी ने पूछा।