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तिलिस्माती मुँदरी


बेचारे कौए राजा की लड़की को दुश्मन के कब्जे में लाना नहीं चाहते थे, मगर मुंँदरी के जादू के आगे बेकाबू थे। इसलिये उन्हें कबूल करना पड़ा कि लड़की पास ही है। सिपाही ने लड़की को झट ढूंढ कर पकड़ लिया, और उसके रोने और चिल्लाने पर कुछ भी ध्यान न दे, रास्ते में घसीटता हुआ ले चला। तीनों चिड़ियां बेचारी ग़मगीन आवाज़ करती हुई पीछे २ साथ हुई। थोड़े अर्से में वह झील केमकिनारे पहुंचे। उसमें इस वक्त एक कश्ती पड़ी थी। सिपाही ने राजा की लड़की को उसमें जबरदस्ती बैठा दिया और आप भी चढ़ लिया। तोता भी किसी तौर से नाव में घुस गया और एक तख्ते के नीचे छिप रहा। सिपाही ने लाव का खेना शुरू किया, कौए ऊपर उड़ते चले। वह सब महल के पीछे की खिड़की पर जा उतरे जिसका दर्वाज़ा सिपाही के खटखटाने पर बब्बू गुलाम ने फ़ौरन खोल दिया। गुलाम राजा की लड़की को दांत निकाल कर बुरी तरह देखने लगा और रानी के कमरे में ले गया। चिड़ियाँ महल के बाग़चे में छिप रहीं।

रानी ने सिपाही को वादा किया हुआ इनाम दिया और बब्बू से कहा कि लड़की को उसके कमरे में बन्द करके दुरवाज़ो और खिड़कियों के सामने पहरा बैठा दे ताकि लड़की फिर न भाग जावे। फिर वह सिपाही से पूछने लगी कि उसने लड़की को कैसे पाया, सिपाही ने, जिस तरह उसे जंगल में जादू की अंगूठी मिली थी जिसके जरिये से वह चिड़ियों की बोली समझने लगा था और जिस तरह उन्हीं चिड़ियों से लड़की का पता लगा था, सब सुना दिया।