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तिलिस्माती मुँदरी


लड़की को यहां पर इधर उधर अकेली घूमने की इजाज़त दे दी गई, पर जो कुत्ता कि सवेरे उसके पहरे पर था इशारे से सिखा दिया गया था कि लड़की के साथ रहे। वह अच्छी तरह समझता था कि मेरा यह काम है कि लड़की भाग न जावे, क्योंकि जभी वह जल्दी जल्दी चलने लगती या बहुत दूर चली जाती वह गुर्राने लगता था।

अख़ीर को वह जंगल की हद के पास एक पेड़ के नीचे बैठ गई और वहां बैठी हुई जिस तरफ़ से आई थी उस तरफ़ को देख रही थी कि उसे ऐसा मालूम हुआ कि एक अजीब सूरत की चिड़िया उसकी तरफ़ उड़ती हुई आ रही है। ज्योंही वह नज़दीक आई उसने देखा कि वह एक चिड़िया नहीं है, बल्कि तीन चिड़ियों का झुंड है और जब वह और भी पास आ गई तो मालूम हुआ कि उसका प्यारा बुड्ढा तोता और दोनों कौए हैं। कौए एक लकड़ी के दोनों सिरों को अपने पंजों से पकड़े हुए थे और तोता उसे बीच में अपनो चोंच में थामे हुए था, यों कुछ उस लकड़ी के सहारे और कुछ अपने परों की मदद से वह बुड्ढा पखेरू अच्छी तरह उड़ा चला आ रहा था। ज्योंही ये चिड़ियां लड़की के इतनी पास आ गई कि उसकी आवाज़ सुन सके वह उन्हें पुकारने लगी और जब तोते ने उसका बोल सुना लकड़ी को छोड़ दिया और लड़की की तरफ ज़ोर से उड़ा और उसके कंधे पर बैठ गया और बार बार बोसा लेने लगा-कौओं ने भी लकड़ी गिरा दी और नीचे आकर एक झाड़ी पर जा बैठे जहां कि कुत्ता न पहुंच सके और राजा की लड़की से फिर मिलने की खुशी जाहिर की। उन्होंने सब कह सुनाया कि किस तरह जंगल के कबूतर ने माहीगीर के घर पर जाकर लड़की का संदेशा दिया और फिर किस तरह वह फ़ौरन वहां से उड़ कर रास्ते में जो