से कह दिया कि यह सारा हाल बिलकुल पोशीदा रक्खें ताकि कश्मीर की रानी को लड़की की ख़बर न हो जावे कि वह इस बेचारी के पीछे फिर पड़े। और यह मस्लहत समझी गई कि राजा की बेटी चांदनी के नाम से पुकारी जावे जिस नाम से कि वह लौंडी के तौर पर ख़रीदी गई थी। कोतवाल की बेटी का नाम दयादेई था।
एक रोज़ जब कि दोनों लड़कियां दयादेई की मां के कमरे में बैठी हुई अपने सीने पिरोने के काम में लगी हुई थीं कोतवाल, जो राजा का दरबार करके लौटा था, वहां चला आया। उसके चिहरे पर उदासी और ग़म सा छाया हुआ था। उसकी बीबी ने दर्याप्फृ किया कि क्या माजरा है तो कहने लगा कि
कश्मीर से एक बहुत बुरी ख़बर आई है-वह यह है कि अफ़वाह उड़ रहा है कि वहां के राजा की यकायक मौत हो गई है और रानी ने अपने छोटे बेटे को गद्दी पर बैठा के राज का इंन्तिज़ाम अपने हाथ में ले लिया है। बेचारी राजा की लड़की अपने बाप के मरने की ख़बर सुन कर बहुत रंजीदा और दुखी
हुई और अपना ग़म छिपाने को कमरे के बाहर चली गई और उसे दिलासा देने के लिए दयादेई भी उसके पास उठ गई। थोड़े दिनों बाद जब कि कोतवाल की बीबी और यह दोनों लड़कियांँ कमरे की खिड़की के पास बैठी हुई थीं एक बड़ी भीड़ लोगों की गली में आती हुई नज़र आई और जब वह क़रीब आ पहुंची तो उन्होंने देखा कि ज़र्क बर्क कपड़े पहने हुए आदमियों का एक बड़ा गिरोह है, कुछ घोड़ों और ऊंटों पर सवार हैं और कुछ पैदल हैं। उनके दर्मियान एक सांडनी पर