पृष्ठ:तुलसी की जीवन-भूमि.pdf/६७

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३-तुलसी का सूकरखेतं.

प्रश्न उठता है कि भवानीदास के मतानुसार तुलसी का सूकर- चरित्री सूकरखेत ... खेत कहाँ है। हमः 'चरित्र' की भाषा में निवेदन करना चाहते हैं कि... अवधः वासबहु- काल . करि, लाहु जन्म : को लीन्ह । सह समाज निज :गवन तब, नीमषार कह कीन्ह ।। प्रथम रुन्हाई. लखि अनादि थल बासा कीन्हो । श्री : रविकुल अंबरीक. नृपति सुकृती जिन्ह चीन्हो । जासुःतनै चक्कवै मानधाता जस राजत। सुनि रावन चढ़ि गयौ दैत आयौ जह गाजत । 'सुई रावनादिक पक्षिन जित्यो भयौ पराजय तासु जब । सो विजई अस्थानं लखि धरौ. रौन्हाई नाम तब ॥ दुतिय बास अंध नास किय, पावन सूफरखेत । त्रयजोजन जो अवधते, दास' दरस सुख हेत ||१|| जहाँ श्री गुरु नरसिंह सन, सुनी कथा लहि ज्ञान.) सो अनादि तीरथ विदित, सगुन देव अस्थान ||२|| श्री. नारायन जगतपति, जग हित जक्त अधार । धारो नपु. बाराह : जब, आदि पुरुष औतार ॥३॥ सन्द धुरुधुरा. ते . भयौ,.- घाघर. सरित प्रवाह! .. देव क्ष गंधर्व, सव, अस्ति प्रलोक्त ताह ॥४॥ भई विमानन भीर बहु, सत जोजन के फेर । . तव आज्ञा भइ सबन कह, करौं पुन्य ·थल हेरः ||५||