दक्षिण अमरीका का सत्याग्रह
६६
यहाँपर दादा भाई का एक पवित्र औरस्मरणीय प्रधंग लिख
देना चाहता हूँ।दादाभाई कमिटी के अध्यक्ष नहीं थे। वधापि
हमेंतो यही मालूम हुआ ह रुपये बगेरा इन्हों के द्वारा मेजना
शोमा देगा |फिर वे भले ही हमारे ओर से अध्यक्ष कोदे
दिया करें । पर पहलेपइल ही जो रुपये उन्हें भेजे गये, हन्हें उन्होंने लौटा दिया भौर लिखा कि रुपये बगैर भेजने का कमिटी संबंधी फाम हमें सर विलयिस बेडरबर्न के द्वारा ही करना चाहिए।
दादाभाई की सहायता तो थी ही पर कमिटी की पतिष्ठा सर
विज्तियम्त वेढरबने के मार्फत काम लेने ही से बढ़ती । मैंनेयह भी देखा कि यद्यपि दादाभाई इतने बयोबृद्ध थे तथापि पत्र चरैरा भेजने के काम में बड़े ही नियमित थे | अगर उसके पास लिखने के लिये और कुछ न द्वोता तो कम-से-कम हमारे पत्रकी पहुँच तो लौटदी डाक से श्रवश्य ही आ पहुँचती।
उस पत्र में भी आश्वासन के दो-एक शब्द रहते । ऐसे भी वे
सखय दी लिखते और उन पहुँचने वाले पत्रों कोभी अपने टिरियू पेपर बुक मेंछाप लेते।
पिछले अध्याय मेंमेंयह भी बता चुरा हूँ. कियद्यप
ि हमने काप्रेस का नाम करैरा तो रक्खा था तथापि इमारा यह हेतु कभी नहीं था कि हम अपने सवाल के एक पत्तौय घना लें । इसलिए दादाभाई की जानकारी मेंअन्य पत्तों के साथ भी हमारा पन्नज्यवह्दार होता रहता था। इनमें दो मुल्य पुरुष थे |एक तो सर मचेरली भावतगरी और दूसरे सर वित्ियम् विल् सन सर संचेरज्ी भावनगरी उस समय पार्लमेंट मेंथे। इनक हंटर । ी ओर से
थी और बे. हमेशा सूचनायें सी दिया