(६ ) बोअर-लढ़ाई पू[रकोंनेयदिपिछतेअध्याय ध्यानपूक पढ़े होंगे तो अवश्य ही इस बात का अनुमान हो गया होगा
कि बोअर-छड़ाई केसमय दक्षिण अफ्रीका के भारतीयों की स्थिति कैसी थी। तबतक जोकुछ प्रयत्न हुआ था उसका वर्णन पिछल्ले अध्यायों मेंदिया जाचुकाहै | जैसा कि पहले सोनें
को खानों के मालिकों के साथ घरू तौर से तय हो चुकां
था। सब १८६६ में डा. जेमीसन ने, जोह्ान्सबर्ग पर घंढ़ाई कर दी । सोचा उो दोनों ने यही था कि जोह्ान्सबग पर हमारा अधिकार हो जाने के बाद ही यह खबर बोअर-सरकार को
मालूस होगी।
परडा.जेमीसनऔर उनके मित्रों ने अपने अन्दाज़में
बहुत भारी गलती की। दूसरे, उन्होंने यहभी सोच रक्खा था कि रोडेशिया में शिक्षा पाये हुए निशानबाज़ सिपाहियों के
सामने बिना ताल्लीम पाये हुए बोअर किसान टिक न सकेंगे उन्होंने यह भी अनुमान कर लिया था कि जोह्ान्सबंर्ग को अधिकाँग जनता तो उनका स्वागंत “ही 'करेगी। पर इन भर ॥
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