पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/११५

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दष्विण अप्रीका का सत्याग्रह

हे

हुईतबमि०एस्कैबने,जिनके नाम से पाठक परिचित हैंऔर

तेटाल केगोरे खय॑सेषकों केनायक थे हमें धत्यवाद और

आशीवांद दिये |

अंग्रेजी अखबारों को तो यह एक चमत्कार-जैसा हीमातूग-

हुआ। उन्हें यहआशा नहीं थीकिभारती भीलड़ाई यमें काम फरेंगे। किसीअंग्रेज नेवहाँ के एक अखबार मेंएक.

स्तुति-काव्यःलिखा था जिसकी टेक को एक लाइन का अर्थ है “आखिर हम सब एक हो राज्य के तो वात्रक हैं!”

इस दृत मेंलगभग ३०० से ४०० दक गिरमिहमुक भारदीबये जो खबंन्र भारतोयों के प्रयत्न से एकत्र हुए थे। उनमें

३७ नायकमानेबातेये, क्योंकि इन छोगों के दृस्तखत कीचाल्ते भीयेहीये । नायकोंमेंवैरिस्टर भेहता वस्नैश थे। दूलके.

दस्ख् बास्त सरकार केपासगयीथी। औरदूसरों फोइकट्ठा करे कारीगर लोग सस्तन्‌मिल्ी,पदई, राज बगेरा ये। इसमें हिन्दू

भुसत्षमान, सद्गासी, उत्तर भारत के लिवासी आदि सव बर्ग के

लोग थे । हाँ,यहकहसकते हैंकिव्यापारियों में से कोई मे था। पर उन्‍होंने आर्थिक सहायता अच्छी की थी !

इतने बढ़े दज्ञ कोफौजीभरतेके अतिरिक्त भी तो

कईप्रकार की भआवश्यकतायें होती हैं।श्र थे अगर पूरी हो जायें तो इस

कष्टकरफौजीजीवनमेंभीछुछ आराम सित्ञसकताहै,उनको दूर करने का काम व्यापारों बगे नेअपने सिरलेलिया । और

इसके साथ ही साथ जिन आदतों को हमें सेवा सुश्र॒पा करनी:

पड़तीथीउनके लिए सी मिठाई, बीढ़ी बगैरा देकर उन्होंने

अच्छी सहायता की । जिन-जिन शहरों के पासहमने मुकाम

20003883 के व्यापारीद्ग ते हसारी इस तरद पूरी