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विवेक का बदला--खूनी कानून

मेंसच जंगह उसका अनुकरण होगा। मुझे तो इस वि का यद्दी हेतुमालूम होता हैकि यहाँ सेहमारा अस्तित्व दी' मिटा दिया

जाय | यह कानून कोई आखिरी सीढ़ी नहीं दै। बल्कि हमें .कष्ट

देकर भगा देने कोपहली सीढ़ी है।इसलिए हमारे सिर पर केवल ट्रास्सवाल में बसनेवाले १०-१४ हजार भारतीयों की ही नहीं वल्कि दक्षिण अफ्रीका भर के तमाम भारतीयों की जिम्मे-

दारी है। और अगर हम इस बिल का रहस्य अच्छी तरह

समम लें, तब तो सारे भारतवर्ष की प्रतिष्ठा फी जिम्मेदारी भी

हमारे सिर पर आती है,क्योंकि यह नहीं कद्दा जा सकता कि इस बिल से केवत्न हमारा ही अपमान होगा बल्कि इसमें तो

सारे भारतवषे का अपमान है। अपमान फा मतत्तब ही है निर्दोष मनुष्य कामान-भग। यह तो कोई नहीं कह सकता

कि हम ऐस कानून के पात्र हैं। हम तो निर्दोष हैं.और राष्ट्र के एक भी निर्दोष अग का अपमान सारे राष्ट्र काअपमान है ।

इसलिए इस कठिन प्रसंग पर अगर हम जल्दबाजी करेंगे,

अधीरता दिखावेंगे, क्रद्ध हो जावेंगे, वोहम उसके द्वारा इस

हमले से अपनी रक्षा सकर सकेगे। पर यदि शान्तिपूषंक उसका उपाय हूँढेंगे,वक्त परउसका अबलंबन करेंगे, एकतापूवक रहेंगे और अपमान का प्रतिकार करते हुए जो मुसीबतें आधें उनफा स्वागत करेंगे तो मुमे तो विश्वास है कि स्वर्य परमात्मा भी

हमारी सद्यायता करेगा ।” सभी बिल की गंभीरता समझ गये थे। सबने यह निश्चय

,/किया कि एक बिराट सभा बुलायी जाय और उसमें

कितने दी प्रस्ताव पेश करके उन्हें स्वीकृत किया ज्ञाय | यहूदियों

की एक सात्यशाला किराये पर ज्ञी गयी । वर्हीं सभा भी बुताबी गयी |