पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/१५४

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सत्याग्रह का जन्म उस ताव्यशशाज्ञा में सभा हुई । ट्राल्सवाज्ञ के भिन्‍न

मिन्‍न शहरों से प्रतिनिधि भी बुल्ञाये गये । पर भुमे

स्वीकार करना चाहिए कि जो प्रस्ताव मैंने बनाये थेउनका पूरा अथे स्वयं में हीनसमझा सका था। इसी प्रकार यद्द अंदाज भी

न जगा सका था कि इनका दुरवर्ती परिणाम क्‍या होगा । सभा हुईं। नाव्यशाल्ा मेंकहीं भीजगह नहीं ज्ात्तो बची । सबके

भेहरे मातों यही कह रहेथे कि कोई नयी बात आज हमें करनी

है द्रान्तवाल त्रिटिश इण्डियन एसोसियेशन के अधिपति मि० अव्दुज्ञ गती अध्यक्ष-स्थान पर विराजे | आप द्रान्सवाल् के बहुत ही पुराने निवासियों में सेएक थे। मुहम्मद कासम फमरुद्दीन नामक

प्रसिद्ध दृकान केआप भागीदार थे और उसकी जोहान्सबगे

वाली शाख्रा के व्यवस्थापक थे। सभा मेंजो अस्ताव स्वीकृत

हुए थे उनमें महत्त्व का प्रस्ताव तो एक ही था। उसका आशय यही

था कि इस बिल का विरोध करने केलिए तमाम उपायों का अवलंबन किया जाय पर यदि इतने पर भी बह पास हो ही जाय तो

भारतीयों को उसके आगे अपना सिर न झ्ुकाना चाहिए। और

इस अवज्ञा के फलस्वरूप जो-जो-दुःख सहना पढ़े।बे सब सहें ॥,