पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/१७९

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द्िण भ्रेफ़ीका का सत्याग्र

रेप

हरे मेंहमें कॉप्रेंस की त्रिटिश कमेटी तोगवश्य ही बहुत

सहायता कर रहो थो । तथापि वहाँ के रीति-रिवाज के

मुझआफिक उसमें तो खास-खास मत और पक्ष के मतुष्य दी आ सकते थे । इसके अतिरिक्त ऐसे फिठने दी लोग ये जो उसमें नहीं आये थे पर फिर भी हमे पूरी सहायता

करते थे। हमें यह मालूम हुआ कि यदि इन सबको' एकत्र करके इस काम में उन्हें लगा दिया जाय तो बहुत काम होसकता है। इसलिए इस उद्देशसे हमने एक स्थायी समिति

की स्थापना करने फा निश्चय किया। यह बात तमाम पक्ष के

लोगों को बहुत पसन्द आयी । हर एक संस्या का उत्तर्प या अपकर्प प्राय: उसके मन्त्री के

कपर ही निर्भर रहता है। मन्त्री ऐसा होना चाहिए जिसका च्स

संस्था के हेतुपर न केवल प्रा-पूरा विश्वास दो बल्कि उसमें

इतनी शक्ति भी होनी चाहिए कि चह उसकी सफलता के लिए

अपना बहुत-सा समय देसके और उसका काम करने की उसमें पूरी योग्यता हो। मि० रिच जो दक्षिण अफ्रीका में थेऔर जो मेरे आफिस मेंशुमाश्ते काकाम कर चुड़े थे, तथा जो लंदन

में उससमय बैरिस्टरी काअभ्यास फर रहे थे, ऐसे ही योग्य

पुरुष थे | उनमें येसब गुण थे। बह पही इंस्लेंड में थे और यह

काम भी करना ,चाइते थे। इसलिए एक कमिटी बनाने की हम

जोग द्िम्मत भी कर सके।

इंशशेंड में अथवा पश्चिम में कहिए मेरी सममःसे यह एक: असभ्य रिवाज,चत्ा आया हैकि अच्छे-अच्छे कामों का मुहूर्त

खाना खाते, समय निश्चित क्रिया जाता हैं। इंग्लैंड का

प्रधान स्त्री अपने वाषिक शासन-कार्य का ज्योरा तथा आगामी

देमेंकिये जाने वाले कार्यों का विवरण तथा समस्त संसार का: