पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/१७८

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विलायत को डेप्यूटेशन

ने ही नाम भी सुझाये। उत्तमें सरलेपल भीफीन का भी नाम

था | पाठकों को याद होगा किइस समय सर विल्सन हस्टर जीवित न थे। अगर वे होते तो दक्षिण अफ्रीका के भारतीयों की स्थिति फा जो प्रगाढ़ ज्ञान उन्हें थाउसके कारण थे ही हमारे अगुआ होते, अथवा थे द्वीउमराबों में से किसी महान नेता को

इसारे लिए ढूंढनिकाते ।

हम सर लेपत्ञ ग्रीफीन से मिले ।उनकी राजनीति तो भारत

की सावजनिक दलचलों की विरोधी ही थी । तथापि इस मसत्े के साथ उनको बडी दिलचस्पी हुई और केवल शिष्टाचार के लिए नहीं वहिक न्यायदृष्टि से ह्वीउन्होंने अगुआ द्ोना कुबूल

किया। सब कागज पढ़े और इस प्रश्न से पूरा परिचय कर

ज्िया। हम अन्य ऐंग्लो इस्डियन्तों से भी मिलते, पालमेंट के अनेक सभ्यों सेमिले और उत्त तमाम लोगों से मिलें जिनका कुछ भी वहाँ प्रभाव था और जिन्हे हम मिल सकते थे । लाडे

एल्गिन के पाम डेप्यूटेशन गया। उन्होंने सभो बातें ध्यानपू्वक

सुन की |अपनी हमदर्दी जाहिर की और साथ ही यह वचन ' भी दिया कि मुमसे जो कुछ बन पड़ेगा मेंअवश्य करूँगा । वही

डेप्यूटेशन त्षाडे माल से भी मिक्षा, उन्होंने भी अपनी सद्दानुभूति प्रकट को | उनके उद्गारों का सार मेंपीछे दे चुका हूँ। सर विज्ियम वेहरबर्न के प्रयत्नों केफलस्वरूप पातमेंट के उन सभ्यों की जोकि भारत के शासन से सम्बन्ध रखते थे एक सभा

भी उसी भवन के एक दीवानखाने में की गयो | उसमे.भी हमने , अपना मामला यथाशक्ति पेश किया। उस समय आयरिश पक्ष

के मुखिया मिस्टर रेडमड थे। इसलिए- हम उनसे खास तौर से

पमिलनेके लिए गये ये॥ संक्षेप में पाल्मेंट केभी ' तमाम पक्त'केः

सभ्यों में सेजित-जिन से, हम सिक्ष सकते थे उनसे मिले ।