पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/१९

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१४ दक्षिण अफ्रीका का गत्यामह बहुत ऊँचा नहीं है जिससे डरावना नहीं मालूम होता। लोगों को दूर हो से उसका पूजन करके नहीं रह नाना पाटो उस पहाड़ में ही अपना घर बनाकर रहा है। बा बिल्कुल समुद्र किनारे है। समुद्र अपने निर्मल जल से उमको पाद पूजा करवा है और उसका चरणामृत पोता है। क्या याना, क्या बूढ़े और स्या स्त्रियाँ सब निडर होकर तमाम पहाद में घूम-फिर सकते है और हजारों शहरातियों के कोलाहल से मारा पहाद राज गूंज उठता है। विशाल वृत्त, सुगन्धित और रंग-बिरणे पुष्प पारे पहाड़ को इस तरह सजाते हैं कि देखकर, धूमकर लोग अघासे झे नहीं। दक्षिण अफ्रीका मे ऐसा बड़ी नदियों नहीं हैं जिनकी तुलना गा-यमुना के साथ की जा सके । कुछ है, पर ये चोदो हैं । इस देश में कितनी ही अमीन ऐसी हैं जहाँ नदी का पानी पहुँचना हो नहीं ! ऊँचे प्रदेशों में नहरें मी कैसे कट सकती हैं जहाँ ममुद्र जैसी नदियाँ न हों, वहाँ नहरें कहाँ से हो सकती हैं ! दक्षिण- अप्रीका में कुदरत ने जहाँ जहाँ पानी की तंगी कर रखी है वहाँ पाताल जैसे गहरे कुएँ खोड़े गय हैं और हवा-प्रकको तथा भाप यन्त्रों के द्वारा पानी स्त्रींचकर सिंचाई की जाती है। खेती के लिए वहाँकी सरकार की तरफ से बहुत मदद मिलती है। किमानों को सलाह-मशवरा देने के लिए सरकार खेती के विशेषज्ञों को भेजती है। फितनी ही जगह सरकार प्रजा के लिए खेती के अनेक प्रयोग करती है, नमूने के खेत तैयार करती है, लोगा को मवेशियों और चीन की सुविधा कर देती है-बहुत कम दाम पर पाताल-जैसे गहरे कुओं को मिट्टी वगैर निकलवा देती है और उनका खर्च किस्तों के द्वारा लेने की सहूलियत उन्हें कर देती है। इस प्रकार खेतों के आस-पास लोहे के काटेदार तार लगवा देती है।