पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२३३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

( २१ )

समभोते का विरोध--सुझपर हमला त के नौ बजे होंगे में'जोहान्सबर्ग पहुँचा और सीधा श्‌ः

अध्यक्ष ईसप मिर्याँ के यहाँ चला गया |वे जान गये

येकि मुझेप्रिटोरिया ले गये हैं।इसलिए शायद मेरी राह भी

देख रहेहोंगे। तथापि मुके अकेज्ञा आते देखकर समी को आश्चय और आनन्द हुआ। मैंने कद्दा जितने आदमी इक हो

सकें सबको इकट्ठा करके इसी समय सभा द्वोनी चाहिए। शैसप मिर्याँ वगैरा मित्रों कोभी यह सूचना उचित मालूम हुई। बहुत से भारतीय एक ही मुहल्ले मेंरहते थे,इसलिए उनको खबर

करना फोई मुश्किजञ वात नहीं थी। अध्यक्ष कासकान मसनिद्‌ के नजदीक हो था और सभायें मसजिद के आंगन में ही होती थीं। इसलिए कोई भारो प्रबन्धभीकरना नहीं था,। मंचपर सिफ एक बत्ती कीजरूरत थी। ११-१२ बजे सभा हुईं। समय बहुत कस मित्ता था ! पर फिर भी लगभग १००० आदमी इंकट्ठ

5 हो गये थे । सभा होने से पहले दी खास-खास लोगों फो जोकि

समझौते की शर्तें समझा चुका था । कोई-कोई वहोँ ये, मैं