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गोरे सहायक दरयुद्ध मेंइतने गोरों ने-जिनमें कई प्रतिष्ठित भी ये,
- * भारतीयों का साथ दिया कि यदि मैंयहाँ पर उनका
प्र साथ परिचय देदूँतो अनुचित न द्ोगा। बल्कि इससे कई
फायदे भी हैं।एक दो यह कि आगे चत्ञकर स्थान स्थान पर
जब उत्का उल्लेख आवेगा तव पाठकों फो वेअपरिचित नहीं भोेस होगे, औरदूसरे, कथा-मवाह मेंमुझे,उनका परियय देने
लिए बीच ही मेंरुकना नहीं पढ़ेगा। पाठक उनकी प्रतिष्ठा का और उनकी सहायता की कीमत का अंदाज नीचे दिये उनके परिचय केक्रम से न लगावें। जिस क्रम से मेरा उनसे परिचय: हँआ उसे तथा युद्ध के ज्ञिन-जिन विभागों में उन्होंने सहायता ध्यान मेंरखकर मैंयहाँ परउन्तका परिचय देरहा हूँ।
सबसे पहले अल्वर्ट वेस्ट का नाम उल्लेखनीय है। कौम के
सम्बन्ध युद्ध के पहले गया । पर मुझसे
- साथ
इससेतोभीउनका पहले उनका परिचय हुआ थाही|सेजबदो मैंने ज्रोहदल्सबर्ग
अपना दफ्तर खोजा उस समय भेरे साथ में बाल्वच्चे नहीं
ये। पाठकों को याद होगा कि दक्षिण अफ्रीका के भारतीयों का .