पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२७४

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और भी कई मीतरी कठिनाइयाँ

का त्याग नहीं कर दिया है। कितने ही ्ञोग सत्याग्रह का रहस्य भी नहीं जानते ।अधिकांश लोग तो कुछ लोगों को देख-देखकर

उसका अंधानुकरण मात्र करते हैं।फिर जैसा कि दाल्ह्टाय ने कट्दा था सामुदायिक और सामानिक सत्याग्रह का तो ट्रान्सवाल

का सत्याम्द्र पहला दो उदाहरण है। स्वयं में शुद्ध सत्याप्रह के ऐतडासिक उदाहरणों को नहीं जानता | मेरा इतिद्वास-विषयक

ज्ञान चहुत कम है। इसलिए मैं इस विषय में कोई निश्चय

अप्िप्राय नहों देसकृवा। पर सच पूछा जाय वो हमें ऐसे इदाहरणों से भी गरज नहीं | सत्याप्रह के मूल तत्त्वों को ग्रहण उसका फल वही द्वोगा जो मैंने कर लीजिए कि आप देखेंगे कि ऊपर बता दिया हैं। सत्यामरह का व्यवद्दार बहुत कठिन हैयह

कहकर हमें इस अमूल्य शस्त्र का त्याग नहों कर देना चाहिए।

» अमाने छे, हजारों बरसों सेशब्रतज्ञ केक्रिंवने ही प्रयोग होते

चले आये हैं। उनमें जो बुरे परिणाम हुए उन्हें हम स्तर देख

हो रहे हैं। यह भी भराशा नद्दी कोजासकतो कि भविष्य में

वह अच्छे फल्न को देगा |अंधकार में से यदि प्रकाश उत्पन्न

किया जा सकता हो तो अवश्य ही बैर से प्रेम-भाव उत्पन्न होने की आशा हम कर सकते हैं!