पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२८०

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जनरल ध्मट्स का विश्वासघात्‌

श्‌

का काम वुद्धिन्पूवंक न सी किया हो। और जहों घात करने का कोई हेतुदी न हो, वहाँ यह भी कैसे मान सकते है कि उन्होंने विश्वास का भंग किया! सन्‌ १६१३-१४ मे जनरल त्मदस

को मुझे जो अनुभव हुआ, उसे में उत्त समय तो कडुआ .नहीं मानता था और न आज भो, जब कि मेंउप्तपर अधिक तटस्थुता पूथेंक विचार कर सकता हूँ, बेसे मानता हूँ|इसलिए बहुत संभव

है, १६०८ साल का उनका भारतीयो के प्रति वर्ताव ज्ञान पूर्वक किया गया विश्वासधात न भी हो ।

इतनी बड़ी प्रत्तावना मुझे इसलिए लिखनी पड़ी कि जनरत्

स्मद्स के श्रति मेंन्याय कर सकें, और साथ ही इसलिए भी कि, उनके जाम्त के साथ मैंने विश्वासघात शब्द का जो प्रयोग किया है,

तथा मुमो इस प्रकरण में जो कुछ कहना है, उसका में वचाव कर सकूँ। पिछले अध्याय मेहम यह पढ़ चुके कि भारतीयों ने ऐच्छिक

परवाने ठीक उसी तरह निकलवा लिये जिससे दान्सवात् की सरकार को सतोष दो जाय |अब उस सरकार का काम था, खनी

कानून को रद करना । अगर वह ऐसा ही कर डालती तो सत्या भरह का युद्ध भी समाप्त हो जाता । सत्याप्रह का अरथ यद्द नहीं था

कि टन्सवाल में भारतीयों के खिलाफ जितने भी कुछ कानूनये वे सव रद हो जायें, या हिन्दी जनता के तमाम दुःख दूर हो जायें। यह करने के लिए तो पदल्ले की तरह वेध आन्दोलन शुरू रखना दी आवश्यक था। सत्याग्रद का आश्रय तो फेवल खनी कानून के

नवीन और भयद्टुर तूफान को दूर करने मात्र के लिए ही लिया गया था। उस कानून को खीकार करना कौम का सरासर अपमान था;

ओर उस स्त्रीकृति से प्रथम तो दरन्सवाल से और अन्त में तमाम

दक्षिण अफ्रिका से भारतीयों की हस्ती ही मिटी जा रही थी। पर खूनी कानून रू करने के लिए एक योजना बनाने के बज्ञाय