६
दृत्तिण श्रफ्रिका का सत्याम्रह
जनरल स्मद्स ने तो और ही कुछ कर डाला । उन्होंने एक वक्तव्य प्रकाशित किया, जिसके द्वारा एकओर तो खूनी कानून को वह
रखा और दूसरी ओर उन ऐच्छिक परवानों को कानूनत फरार
दिया। पर उस वक्तव्य मे उन््दोंने एक यह वाक्य भी डाल दिया था
कि जो भारतीय अ्रव तक परवाना जे चुके हैंउन पर खूनी कातून
अमल नहीं करेगा। इसका भर्थ तो यद्द हुआ कि एक ही हेतु 'को पूरेकरने के लिए दो कानून रहेंऔर वाहर से आनेवात्नें नवीन भारतीयों को तथा नदीन परवाना लेने वाज्े भारतीयों को भी
खूनी कानूम द्वारा शासित होना चाहिए |
यह बिल पढ़कर मैंतो पूरा किंकतंव्यमूह दो गया। कौम कोमैं
क्या उत्तर दूँगा |उन पठान भाइयों को, जिन्होंने उस मध्यरात्रि की सभा मेंमुझ पर सख्त आं्तेप किये थे, कैसी सुन्दर दलील
मिल गई पर मुझेकद देना चाहिए कि इस अकल्पित आघात के”
फारण सत्याप्रद्द पर मेरा विश्वास ढीला होने के वजाय और
तीघ् दो गया । हमारी कमिटी को वैठक निमन्त्रित करके मैंनेउन्हें
सममाया। कितने द्वीभाइयों ने ताना देकर मुझसे कह्दा "हम तो आपसे कभी से कह रहे थे कि आप वहुत भोत्े हैं । जो कुच्े भी कोई कहदेता है,आप सच्चा मान छषेते हैं।अगर आप अपने खानगी कामोंमेंहीइसतरहसेकामचलाते, तवतोकोई विशेष चिन्ता की
बात नहीं थी। पर यहाँ तो आप ज्ञावि के कामों मेंभी उस्ती भेज्षेपन से काम के रहेहैं,और उसके फल्-खरूप कौम को कट मेलना पड़वा है। व पहले का सा जोश आना वहुत मुश्किल है। कम सेकम हमे तो ऐसा ही मादपत होता है। आप भी तो अपनी कौम के स्वभाव से अपरिचित नहीं हूँ । यह तो सोढा वाटर की
धोतल है । सिफे घड़ी भर के लिए जोश आता है,वस हमें उसीका उपयोग कर लेना चाहिए। जोश हटा कि मामला खतम है!” इस