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ऐच्छिक परवाने की होली ्अल्टिमेटम! अथवा निश्चय-पूत्र कीआखिरी मियाद का दिन वही रखा गया था, जिस दिन कि वह दूसरा एशियाटिक काबून
मंजूर होने कोथा। मियाद बीतने के दो घंटे वाद परवाने जलने . का सावेजनिक समारोह करने के हेतु एक समा निमन्त्रित की गई थी। सत्याप्रह-ऊमिटि नेसोचा था फ्रि यदि कहीं सरकार
अनुकूल उत्तर भेज्ञ दे, यद्यपि एक अकल्पित दात ही होदी तो भी बंद सभा निरथ्थक न सिद्ध होगी। क्योंकि यदि ऐसा ही हुआ
तो उस सभा द्वास सरकार का अनुकूल निश्चच भी जाहिर क्या जा सकता थां |
कमिटी का खयाल तो यह था कि सरकार निश्चय-पत्र का
कोई उत्तर ही न देगी ।हम सब्र पहले ही से सभा-स्थान पर पहुँच गये ये । यह ज्यवस्वा भी कर दी गई थी कि यदि फटी सरकार
का उत्तर तार से आया तो बंद भी फौरन सिल ज्ञाय। नियमाजुसार सभा मस्जिद की सडक पर भरी थी, और समय चार बजे
का था। मत्विद बाला मैदान भारतीयों स खचाखच भर गया। दृष्षिण अफ्रिका के हृब्शी लोग अपना साना पकाने के लिए घार