पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३०३

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श्द

दत्तिणु अफ्रिका का सत्यामरह्‌

अपनी शक्ति और विवेक दी था। बात-ब्रात पर कोई सत्याप्रह / करने चलते तब तो बह निरा दुराम्रह ही दो जाय। दूसरे, अपनी शक्ति का पूरा खयाल करने से पदल्ले होयदि आदी सत्याम्नह ठान चैंठेभोर यदि पीछेसे उसे द्वारना पड़े, वोचह खुद तो बदनाम

होगा ही, पर साथ ह्वीउस मद्दान शस्त्र को भी बदनाम कर देगा।

कमिटी ने देखा कि कौम से तो केवल खनी कानून के विरोध मे ही सत्याप्रह शुरू किया है। यदि वह रद दो जावे तब तो नवीन

बस्ती से सम्बन्ध रखने वाले कानून में जो घुराई ऊपर बताई जा

चुकी है,वह भी अपने आप ही नष्ठ हो सकती दै। पर साथ द्दी एक बात और भी थी। यदि यह सममकर हम चुप 'चाप रहेंकि

खली कानून ही रद होजाय, तो बस्ती से सम्बन्ध रखने वाले दूस

कानून के विपय मे प्रथक चर्चा अथवा आन्दोलन करने की

श्रावश्यकता नहीं है,तो उसका यही अर्थ होगा कि भारतीयों की नवीन बस्ती से सम्पन्ध रखने वाले तमाम प्रतिबन्धों को हमने

स्वीकार कर लिया। इसलिए उस कानून का विरोध करना तो ज़रूरी था, पर उसे सत्याग्रह के उद्देश से शामिल किया जाय या

नहीं !कौम ने सोचा कि सत्याप्रह के शुद् दो जाने पर उस पर

होते बाते सभी आक्रमणों को सत्याप्रह में शामिल कर हें

दसका धमम है। हाँ, अपनो दी कमज़ोरी के कारण हम यदि ऐसा

न कर सके तो बात जुदी है। झाखिर नेताओं ने भी यही निर्णय

किया कि शक्ति के अभाव, अथवा न्यूनता के वह्दाने इस जहरीती

धारा को दम कभी वरदाश्त नहीं कर सकते | अतः उसे भी हमे

सत्माप्रह के उद श मे शामिल्र कर क्ेना चाहिए।

अप स्थानीय सरकार से इस विपय मे पत्र-व्यवहार शुरू

हुआ। फिन्तु इसका फल छुछ न हुआ। कानून से कोई परिवर्तन नहीं हुआ। हाँ, इलटे फौम फो, और सच पूछिए तो मुझे, बदनाम