पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३०४

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कौम पर एक नया आरोप

श्६

करने केलिए एक नवीन साधन मात्र जनरह्न स्मट्स के हाथ शग

गया। वह जानते थे कि जाहिरा तौर पर जितने गोरे कौम की

सहायता कर रहे थे, उनसे फह्दी अधिक खानगी तौर से कौम के

साथ सहातुभूति रखते थे। अंतः उन्होंने स्वभावत: सोचा

कि यदि गोरों की इस सहानुभुति को वे नष्ट करसके तो कैसा

अच्छा हो ! यह सोच विचार कर उन्होंने मुझ पर यह आरोप

ज्गाया कि इसने एक और भी नई वात खड़ी कर दी | वल्कि वह तो इससे भी आगे बढ़ गये | उन्होंने तो अपनी बात-चीत तथा लेखों द्वारा हमारे अग्रेज सहायकों से यहाँ तक कद्दा कि "गांधी

को जितना मैंजानता हूँउत्तना आप लोग नहीं जानते । आप यदि इसे उंगली बताबेंगे तोयह फोरन हाथ ही पकड़ने की कोशिश करेगा । यह सेच मेंजानता हूँ। इसीलिए एशियाटिक एक्ट रद नहीं करता हूँ |जब उसने सत्याम्रह छेड़ा था,तर नदीन बस्ती-

वाले कानून का तो कहीं नामोनिशान भी नहीं था। अब दन्सवाल की रक्षा केलिए नवीन भारतीयों को यहाँ आने से रोकते हैंतो वहाँ भी यह अपना सत्याग्रह घुसेड़ना चाहता है। इस चालाकी (00777808४8) को हम कह्दों तक बरदाश्त कर ९ यह्‌

जो चाहे सो करे |भले ही सब भारतीय बरबाद हो जायें।

मैंइस कानून को अब रद नहीं करूँगा और न उस नीति

को ही छोडूँगा, जो स्थानीय सरकार ने भारतीयों के विपय मे

कायम कर रक्खी है । प्रत्येक गोरे का भी यही कतेव्य हैकि वह

इस न्यांय्य-विधान का समथन करने के लिए तैयार हो जावे |? किंचित्‌ विचार करने से माकछम होगा कि उपयुक्त दत्तील

बिलकुल अनुचित और नीति-चिझुद्ध

थी। जिस समय नवीन

बस्तीकाप्रतिवन्ध करने वालेकानून का जन्म ही नहीं हुआ

था, तब भल्षा मैं याकौम उसके विरोध में आन्दोलन ही केसे