पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३२२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सेठ ।ऊद महमदर आदि का युद्ध मेशामिल होना...

४७

थे | अधिकारियों ने जेल मेकिसी केदीकों दुख देने मेकोई

कसर नहीं छोड़ी । पाने तक साफ करवाए। ओर भारतीयों नेहँसते-दसते कर डाले: पत्थर फुड्बाये, ओर अल्लाह या राम का नाम क्षे-ज्लेकर उन्‍्दोंने फोढ़े, ताल्माव जुदवाये, पथरीली जमीन

खुदवाई ! ह्वाथों मे छाले पड़ गये, असह्म दुःख से कई भूच्छित हे गये, पर द्वारे नहीं । कोई यह सी न समझे कि जेल के अन्दर आपस मेंलड़ाई-

झगड़ा और ईष्या-द्ोप नहीं होता था। सबसे ज्यादा झगड़ा तो खाने पर होता था । पर हम उसे भी पार कर गये। मैं भीदूसरी चार पक्रड़ा गया। एक समय वॉक्सरेस्ट की

जेल मे हम लगभग ७५ भारतीय केदी इकट्ठ दो गये । खाना

पकाने का काम हमने अपने हांथों झे ले लिया। लड़ाई-मंगढ़ों

का निवारण मुझे दी करना पड़ता | इसलिए मैंखुद रसोइया बन गया। पर सेरे हाथ छी कच्ची-पक्की रोटी और बिना गुड़-राकर की राब मेरे सभी साथी प्रम-पूर्वंफ खा लिया करते।

सरकार ते सोचा कि यदि इसे अलग फर देंतो यद्द (में ) भी जरा दीन हो लाय और इसके ( मेरे )साथी भी हार जायें । पर उसे यह देखने का सुन्दर अवसर नहीं मित्रा। मुझे प्रिटोरिया ले गये। बदमाश केंदियों के लिए जो एकान्त कमरे होते हैं, उसमें भुमे वहाँ रब्खा गया। केवल

व्यायाम के लिए दिन में दो बार बाहर मिकालते थे | वॉक्सरेस्ट में (धी दिया जाता था । यहाँ तो वह भी नदारद। जेल के इन गौण

दुश्जलों कावर्णन मैंयहां नहीं करना चाहता। जिज्षाप्तु पाठक

दक्षिण अफिका के मेरे जेल के अनुभव पढ़ ले | इतने पर भी भारतीय हारे नहीं। सरकार असमंजस में