पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३३३

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फिर डेप्युटेशन इस तरदद सत्याप्रहियों को जेशें में और देश के वाहर भेजा जा रहा था| पर इसमे भीवीच-बीच से ज्यार-भाटा तो आता हद

रहता था। दोनों पत्त कुछ-इुछ ढीजे भी हो गये थे। सरकार ने

देखा कि जेल भर देने से क्टूर सत्यामदी नहीं झुकेंगे, और देश

निकाले से खुद उसकी बदनामी होती थी! यदि कोई मामकी अदालत मे जाता तो उसे द्वारना भी पडता था। इधर कौम भी सर

कार का जल्दी-जल्दी मुऊावला करने के लिए तैयार नहीं थी, मे उतनी तादाद में उप्तके पाप्त सत्याग्रह्दी बचे थे। कुछ कायर वन गये, कई विल्लकुल् द्वार गये थे और कट्टर सत्याम्रहियों को मूल

बना रहेथे। और जो “पूरक? थे वे तो अपने को चतुर समभ

फर परमात्मा तथा लड़ाई ओर अपने साधनों की सत्यता पर

सपूर्ण विश्वास रक्‍्खे हुए बैठे थै। वे मानते थे कि अंत में तो सत्य द्वी कीविजय होगी । दक्षिण अक्रिका की राब्य-व्यवस्या तो एक कण भी दम

नहीं थी। बोअर और अंग्रेज दक्षिण अफ्रिका की तमाम रिया*"

स्तों को एफन्र कर अधिक सतंत्रवा चाहते थे। ज़रनल इटजोग

एकदम म्रिदिशों से सम्बन्ध तोढ़ देना चाहते थे। दूसरे कितने