पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३३४

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फिर डेप्युटेशन

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हीलोग भी केवल नाप्त मात्र को त्रिटिशों से सम्बन्ध रखना

प॒न्द करते थे। भत्षा अंग्रेन तोइस बात को कब सह सकते थे कि थे देज्षिण अफ्रिफा सेब्रिलकुल ही सम्बन्ध तोड़ ४) चातत

पह थी कि जो कुछ भि्ञना जुबनना था ब्रिटिश पालमेट के द्वार ही मित् सकृता

था।इसलिए बोझर और, ब्रिटिशों ने यह

तय किया कि दक्षिण अफ्रिका की ओर से एक डेप्पुटेशन इंग्लैंड को जावे और दत्तिणु अफ्रिका का केस पिटिश मंत्रि-मण्डल् के सामने पेश करे | भारतवांसियों ने देखा कि यदि दक्षिण अफ्रिका की सारी

रियास्तें एक हो गई", अर्थात्‌ वहाँ यूनियन दो गई, तो उनकी स्थिति इससे सीअधिक खराब हो जायगी | सभी रियासत भारतीयों कोअधिकाधिक दबाना ही चाहती थीं। इसलिए यह तो उअप्ट ही था, कियदि वे सब एक द्वो जातीं तो अवश्य ही

सरतीयों को ज्यादा दवाने की कोशिश करती। यद्यपि इन सबके

बिपक्ष में भारतीयों काअपनी आवाज उठाना नि.सन्देद “नक्कार-

खाने में तूती कोआवाज! वात्नी मसल द्वी थी। तथापि उन्होंने

यह सोचकर अपना भी एक डेप्यूटेशन इंग्लेणड भेजने का

निश्चय किया कि अपनी तफ से कोई बात उठा नहीं रखनी चाहिए। इस बार डेप्युटेशन मे मेरे साथ पोरबन्दर के मेमन सेठ

हाजी हबीब को भेजा गया। दून्सवाल मे इनका वहुत समय से व्यापार चला आरदा था। अनुभव भीं विशाल था। अंग्रेजी

शिक्षा प्राप्त नहीं कीथी। किन्तु अग्रेजी, डच, जुलू आदि सांपाये आसानी सेसमम लेते थे। वह सत्याप्रह्ियों से सहानुभूति तोरखते

श्र , पर स्वयं सत्या्रद्दी नहीं थे |हम दोनों ग्ोग केपटाउन से जिस जद्दाज़ में वेठे, उसीमे दक्षिण अफ्रिका के बिख्याव बुजुर्ग मेरीमेन

भी ये | बद्द यूनियन होनेके पक्ष मे प्रयत्न करने जा रहे थे।जनरत्ष