पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३३६

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फिर डेप्युटेशन

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एसलिए आप जिस किसी निर्शेय पर पहुँचे सोचनसममा कर

तय करं। इस तरह आपसे कहने तथ। आपको आपकी

जिम्मेदारी का पूरा ख्याल करा देने केलिए भी जनरल बोथा ने

मुझ से कहा है। इस तरद् संदेश सुना कर ला ऐ7ंम्प्ट्हिल

अपनी तरफ से बोले--+ “देखिए न, आपकी तमाम व्यावह्ञारिक सॉँगों कोतोजनरल

घोथा स्वयं ही कुबूल करते हैँ। फिर इस संसार मे इन्सान फो

नस्मनारम भी तो होना हो पढ़ता है। जितना हम चाहते है वह सब हमे नहीं मिल जाता | इसलिए मेरी भी आपको आम्रहपूवक

यददी सलाह है कि आप उनके सन्देश को स्वीकार कर लीजिए । हॉ, यदि आपको सिद्धान्त ही के ज्षिण लड़ना है तो आप आगे

चद्ध कर फिर लड़ सकते है. भत्ते हीआप दोनों साहबान इस

““ीत पर अच्छी तरह विचार कर तीजिए और शान्ति से जवाब दोजिए। उसकी इतनी जल्दी नहीं है । ”

यह सुनकर मैंने सेठ द्वाजी हशीब की तरफ देखा। उन्होंने

फहा--“मेरी तरफ से कद्दिए कि मेंसममोता चाहने वाले पत्त की चरफ से कद्दता हूँकि मुझे जनरत् बोथा फी बात मजूर हैं।अर्थात्त हमे यह मंजूर हैकि वे अभी जो दे रद्दे हैउसको इस समय संतोष-पूर्वक मान ते, और सिद्धान्त के लिए पीछे से हम भगढ़ लेंगे। अब मेंइस वात को जरा भो पसंद नहीं कर्ता कि फौस इससे और अधिक क्क्षेश पावे |जिस पक्ष की तरफ से मेंयह कह

रहा हूँ,वह संख्या में भीअधिक है,ओर उसके पास घन भी

व्ट्रोशिरी हे ।” इन वाक्यों का मैंने अक्षरशः अलुवाद करके सुना दिया। फिर मेंअपने पक्त की तरफ से णोला--“आपने जो कृष्ट

उठाया है, उसके लिए हम दोनों आपके एह्सानमन्द हैं। सेरे साथी ने जो कद्दा सोठीक है। बह जिस पक्ष फी तरफ से बोलते