पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३६३

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दक्षिण अफ्रिका का सत्याग्रह

हमारा बनाय। भोजन तो खैर खाना ही पढ़ा [ नहीं तो भोर

करते ही क्‍या

पे

दूसरे दिन सुबरदद न तो उन्होंने खुद दीआराम लिया नहमेंलेन

दिया । उनके भाषणों को, जिन्हें हम पुस्तक रूप में छुपाने वाहे

ये, उन्होंने दुरूत किया। उन्‍हें.कुछ भी लिखना होता वो पहले

बह यहाँ से वहाँ तक टहुलते टहलते विचार कर लेते ! उन्‍हें एक छोटा सा पत्र लिखना था । मेरा ख्याल था कि वह फौरन लिख टाक्तेगे, पर नहीं। मैंने टीका की, इसलिए

भुमे व्याख्यान सुनना पढा।” सेरा जीवन तुम कया जानो!

में छोटी-से-छोटी बात में भी जल्दी नहीं करता 4 उस

पर विचार “ करता हूँ । उसके अध्यबिन्दु पर ध्यान देता हैं.विषयोचित भाषा गढ़ता हूँ,और फिर कहीं लिखता हूँ । इस तरह याद सभी फरें त्तोकितना समय बच जाय, और समाज का

कितना ज्ञाभ हो ? श्राज समाज को जो इन अपरिपक्ष विचाएँ के कारण हानि उठानी पढ़त्ती हैउससे वह वच जाय। जिस तरह गोज्क्तेज्ी केश्रागमन के वर्णन रहित टॉलटॉय

फार्म के सेस्मरण अधुरे माने जावेंगे, उसी श्रकार यदि मि. कैलन चेक की रहन-सहन का वर्णन भी न दिया जाय, तो वे अधूरे लीरह,जावेगे। इस निरल पुरुष का परिचय मेंपहले दे चुका हैं| मि० कललबेक का टॉल्ट्टॉय फार्म पर और सो भी हमारे जैस। रहना एक श्राग्रयेजनक वस्तु थी। गोखले सामान्य बातों से

आकर्षित होनेघोष पुरुष नहीं ये। कैज्ञनवेक केजीवन में यह मद्दान्‌ परिवतन देख कर पह भी अत्यन्त आश्चर्थ-चकित हो गये थे। मि० घेलन्चेक ने २भी घूप जाढ़ा नहीं सद्दा था, न किसी

प्रकार की मुसीबत पहले उठाई थी। अर्थात सवच्छन्द जीवन को सन्‍्होंने अपन धर्म बना लिया था। संसार के आनन्दों का उपें