पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३७४

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टॉल्टॉय फार्म (३) ध्ध -+भहर कहँगा कि पॉच सात तक केवल फज्ञाद्वार पर ही रहने से न तो मुझे कभी कमजोरी साछूम हुई भौर न किसी प्रकार की व्याधि। इतना ही नहीं, वल्कि उत दिनों शारीरिक काम करने की सुममेंसम्पूर्ण शक्ति थी; यहाँ तक कि एक दिन के अन्दर मेंपैदल ही पेदल ५४ सी की सफर कर सकता था। ४० मीक्ञ की सफर

तो मेरे लिए एक मामूली सी बात थी। मुझे यह भी दृढ़ विश्वास

हैकि इस प्रयोग का आध्यात्मिक परिणाम भी बढ़ा सुंदर हुआ था। और इस प्रयोग को छुछ अंशों मे मुझे त्याग करना पढ़ा ) ईस बात पर मुझे वराजर दुःख होता रहता है। आज भी इन राजनेतिक व्यवसायों से, जिनमे मेंवहुत ही फेंसगया हूँ,किसी प्रकार मुक्त दो जाऊँ, ठो इसके आध्यात्मिक परिणामों

कोजॉचले के लिए इस उम्र में शरीर की जोखिम उठा कर भी, ': +रस प्रयोग को फिर सेशुरू करदूँ। मेरा तो खयाल हैकि डाक्टरों

और चैदों में श्राध्यात्मिक दृष्टि का प्रभाव भी मेरी राय मेंहमारे एक भह्दान्‌ विष्त है |

पर अब तो इन मधुए किन्तु आवश्यक संस्मरणों को समाप्त फर देना चाहिए । इतने सख्त प्रयोग आत्मशुद्धि के युद्ध केफारण

हो सकते हैं। टॉल्स्टॉय फार्म अतिम युद्ध केलिए एक तपश्वर्या और आत्मिक शुद्धि का स्थान सावित हुआ | इस वात मे

घुसे पूरा संदेह हैकि यदि हमे ऐसा स्थान न मिलता या हम घसे नभ्राप्त करसकते तो आठ वर्ष तक युद्ध चक् भी सकता था नहीं,

हमे इतना अधिक घन भी मिलता या नहीं, और साथ ही आगे भेजकर जिन हजारों मनुष्यों ने उसमे भाग लिया बह ले सकते या

भेहीं।यह बात हमारे नियम और उद्देश के विपरीत थी कि

टॉल्ट्ॉय फार्म का ढोल पीट कर प्रचार किया जाय। तथापि

जो बसतु दया के पात्र नहीं थी, उसने कोगों के द्या-भाव को