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इत्षिण अफ्रीका का सत्याप्रह

चाहिए” |इत्यादि शर्व मैने सबको वार बार ठोक-पीटकर समझा दीं। सवतैयार होगये। फिनिक्स के वाहर वालों मेंकेवल रुश्तमजी

जीवनजी घोरखोदु थे ।उनसे मेंयेसब बातें छिपा नहीं सकता था, और न वे पीछे रह सकते थे। जेक्ष ठो उन्हें जाना'ही था, पर

वेचादतेथेकि वाद मेंजावे ।इस टुकडी के नाम नीचे लिखे हैं--

(१) सौ० कस्तूर मोहनदास गांधी, (२) सौ० जयाकुवर मणिलाल डाक्टर; (३) सौ० काशी छुगनलाल गाधी; (५) सौ०

संदोक मगनलाल गांधी; (५) श्री० पारसी रुस्तमजी जोचणजी घोरखोदु, (६) छगनलाल खुशालचन्द गाघी, (७) श्री० रावजी

भाई मणिलाल पटेल; (८) श्री० मगनभाई हरिभाई पटेल; (६)

श्री० सोल्लोमन रॉपन; (१०) भाई रामदास मे।हनदास गांधी;

(११) भाई राजूगोबिन्दु;(१२) भाई शिवपूजन बद्री, (१३) भाई

गोविन्द राजुद। (१४) औी कुप्पु स्वामी मुदालियार, (१५) भाई गोकल्ष दास इंसराज, (१६) भाई रेवाशंकर रतनशी सोढ़ा !

आगेके हाल सोलदइव अध्याय मे ।