पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/४०८

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स्त्रिया क्ेद में यह दुकडी सरहद को लांघकर बिना परवाने के टन्मवाल में

प्रवेश करने के अपराध मे जेल की सैर करने वाली थी। पिछले

अध्याय के अंत मे दिये हुए नामोंकी पढने पर पाठक देखेंगे कि इस

मेंसे कितने ही माम ऐसे हैंजिनके मालूम होजानेपर यह आशंका

कि पुलिस शायद उन्हें न भी पकडती। मेरे विपय मे यही हुआ था |दो-एक बार पकड़ लेने पर फिर सरहद ल्लांघते समय पुलिस

पकडना ही छोड दिया | इस टुकड़ी के निकलने कीखबर

को नहीं भेजी गई थी, फिर समाचारपत्नों को तो कहां से ? उन्हें यह भी समझा दिया गया था कि वे पुलिस को

अपना नाम-ठाम भी नहीं बताबे। कह देंकि नाम अदालत में वता दिये जाबंगे | ऐसे कई मामले पुलिस के पास आते ये । गिरफ्तारी के आदी

तलाने पर भारतीय तो कई बार पुलिस को केबत्न मधुरता पूर्वक

'ताने के लिए नाम बगैरा बताने से इनकार कर दिया करते

। इसलिये इस समय भी पुलिस को कोई विचित्रता नहीं माल्ूम ई। इस डुकढी को पुलिस ने पकड़लिया। अदालत मेंमामला पेश

था और सबको तीन-तीन महीने की सख्त क़रैद की सजा मिली |