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हा
इक्तिण अफ्रीका हा सत्याग्रह
तेएक साथ॑ ही रखना पड़ता ! समुद्यय भी थोड़ा न था। व्यमियाशी
कोलब्मा कहीं से हो? पर ऐसे बबाहरणों मे मैंजल्दी जा पहुंचता श्र थे शर्मिंदा हो जाते ! फिर ऐसे लोगों को झलय भी रखता | पर बस उदहरणों की कौन गिनती लगा सकता हैजो मेरी अनजान में शुजर चुक्नेहोगे। किन्तु इस वस्तु का अधिक वरणन करना व्यर्थ हद[| मैंने तो केबल यह बतलाने के लिए इन बातों का जिक्र किया है कि वह सत्र काम इतना आमान नहों था । साथ ही इस से यह भी डाहिर होता हैंकि इतना करने पर भी कोई उद्धतता पूर्वेकमुझ
से पेश नहीं आता था। नीति-झनीति का भेद ने जानने वाले निरे जंगली जैसे लोग भी अच्छे वावुमण्डल मेंआते ही श्विनी
अच्छी तरह बरतने लग जाते हैँयह मेने ऐसे कई मौ्की पर देंखा
है। भौर बद्दी जात जेना अधिफ आवश्यक्ष ओर क्रायदेमन्द दे ।