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इत्िण प्रफ्रीया का सत्याप्रह

गोलियों चला ढेंगे। इस सभा में मि० कैलनबेऊ गोरों को सम-

माने के लिए गये थे |पर उनकी बात कोई सुनना दी नहीं घाहता था। कई तो उन्हें मारने के लिए उठ सड़े हो गये । मि० कैल-

नवेक स्वयं कमरती जबानहैं। सेंहो से उन्दोंने कसरत सीसी थी।

उनको यों ढराना मुश्किल था। एक गोरे ने उन्हे हद युद्ध के लिए

शआहान: किया। कैलनवेक ने कहा “मैंने शाति धर्म को स्वीकार किया है । इसलिए आपकी इच्छा की पूर्तिकरने में

असमर्थ हूँ। पर मुझ पर जिसे प्रद्दार फरना हो, वह सुखपूर्व करे, मैंतो इस सभा मे बोलता ही रहूँगा। आपने इसमे सभी

गोगें को निमन्त्रित किया है । मेंआपको यह सुनाते के लिए आया हूकि आपकी तरद्द सभी गोरे निरदेप मनुष्यों कोमारने के लिए

तैयार नहीं है । एक ऐसा गोरा है, जो आपसे कह देना चादता है

फि आप भारतीयों पर जिन बातों का आरोप करते हैं,वे असत्य

है। आप जो सोच रहेहैंवह भारतीय नहीं चाइते। उन्हें न ते आपके राज्य की आवश्यकता है और न वे आप के साथ लड़ते

चाहते है । वे तो शुद्ध न्याय के लिए पुकार उठारहेहैं। दत्स

यात्ष में हमेशा रहने के हेतुसे वे प्रवेश नहीं कर रहेहैं। वल्ि

उन पर जो अन्यायपूर्ण कर लादा गया हैउसके खिलाफ सम्रिर पुकार उठाने के उद्देश सेवेयह कर रहेहूँ । वे वद्दादुर हैं,हुल्लई

वाज्ञ नहीं। वेआपके साथ लड़ेंगे नहीं, परयदि आप उनपर गोलिय

चलावेगे तो उनको सद्कर भी वे इसी तरह आगे बढ़ते जाबेंगे

आपकी बंदूकों या बल्लम के ढर सेवेपीछे पैर नहीं हटावेंगे। वेते स्वयं दु.ख सह कर आपके हृदय फो पिघला देने वाले कोग ड्ढ

चसयही कहने के लिए मेंयहाँ आया हूँ। यह कह कर मैंने ते

झापकी सेवा ही की है। आप सावघान हो.जाइए ओर अन्याय रे चचिए” इतना कद्द कर मि०-कैलनबेक शर्त हो गये । गोरे कु