पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/४५४

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कसौटी शष्धः काम पर लौटा देने की जिम्मेदारी लेता हूँ? जरनलत त्यूकिन हस्त नौजवान की बहादुरी पर मुख्य होगया ।और उसने सोराबजी

को अपना प्रेमनत्ष आ्राजमा लेने की मुहलत देदो। सोराबजी मे क्ोगों को समझाया। वेसमझ गये, और श्रपने अपने फाम पर

बल्षेगये। इस तरह एक नौजवान के प्रसगावधान, निर्भयता और

भम के कारण खून की नदी बढ़ते बहते रुक गई-। शठकों को यह जानना चाडिए कि यह गोलियाँ चताना शरदि काम गैर कानून नहीं था। खान के मजदूरों के साथ सरंकार ने जो व्यवहार किया था, चद देखने मे तो कामुनन था। उन लोगों के हड़ताल करने के अपराध मे नहीं बल्कि धान्तवाल की सरहद

सपने के अपराध में गिरफ्तार किया गया था। मेकत्य और वायत्य मेंहृड़ताज्ञ करना हीएक अपराध समझा गया। सो भी

फानून केव्आाधार पर नहीं; बल्कि सत्ता केअधार पर | और अंत मेंता सत्त ही कानून बन बेठती हैन? अंगरेजो कानून से एक

कहावत भी है. जिसका अर्थ है ५राजा कभी गत़ती करता दी

नहीं ।” उत्ता फे लिए जो घात भअनुक्ृत्त होती है, वही अंत मे

कानून वन जाती है । पर यह दोष सावेभोम है। रच'पूछा जाय

पर इस तरह कानून को भूल जाता हमेशा दोष भी नहीं कहा जा

सक्रता |कह बार.कानून का अवलम्बन ही दोप बन जाता है। यदि सत्ता लोकरंग्रह कर रही हो। भौर उसको नियन्प्ित रखंने घाके नियमों से रसके विनाश की सम्भावना हो, तो वहां उतत

का गाश करना ही धर्म्य और विवेक पूर्णहै। पर ऐसा

प्रशंग बहुत क्चित उपस्थित होता है । जो सत्ता बार बार निरंकुश

होजाती हैबह लोकोपकारी नहीं कह्दी'जा सकती। प्रस्तुत उदा-

एएए मे सत्ता के इस तरद निरंक्षश होने के लिए कोई फारण ही

नहीं था, हड़ताल करने का हक तो० अमादि है। सरकाएकेपास