पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/४६७

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ष्ध्र

अफ्रीका का सत्वामह

इन्झार कर दिया था। सत्याम्रह की घमकी तो जिस प्रज्गार उतत

समय थी, ठीक वैसी ही अब भी कायम थीं । पर फिर भी उन्होंने

बसीढी करने देने सेइन्कार कर दिया था ।इस वार तो वे सक्ाह लेने तक छो वैयार थे

भारतीयों की मांव तो चइ थी कि इनकी तरफ से भी कमिशन में किसी की नियुक्ति होनी चाहिए । पर इस वात पर जनरल स्मट्स

मजबत ये। उन्होंने कहा"यह तो हो ही नहीं सकता । उससे सरकार की प्रतिष्ठा कम हो जावेगी, और दूमरे, में जो सुधार करना चाहता हूँ वह में नहीं कर सक्ूंगा। आप जानते हें कि मि० एसलन हमारे आइसी हूँ।झुघार फरने के विषय में वे सरकार के प्रतिकूल मत नहीं देसकते वल्कि अनुकूल ही दो

जावेंगे। कर्नतत वायल्ली नेटाल के प्रतिष्ठित मनुष्य हैं. इसके अलावा वे आप लोगों के विरोधी माने जाते हैँ। इसलिये ग्रदि थे हमारा भी तीन पोंडका कर उठा लेने के पक्ष में अपना मत देदेगे दो काम बड़ा सरल दो जायगा | इससमय हम ऐसी कठिताइयों में फँसे हूंकि दम मारने तक की फुरसत नहीं है इसलिये स्॒यइमही

चाहते हूंछि आपके मामते का एक वारगी अंतिम फेसला हो जाय | आप जो चाहने हूँबही देने का प्रत्ताव इमने स्रीकृत कर लिया है| पर बिना कमिशन की सम्मति के बह दिया नहीं

जा सकता | झप की स्थिति को भी मेंसमझ सकता हूँ। आप

दो यद प्रतिज्ञा छिये बेंठे दें कि जब तक हम झापके पच के क्िसो आदएमो को कमितन में शामिल नहीं कर लेंगे, तत्र तक आप कोई

का नहीं दंगे । भत्ते हीआप न दे'। पर जो देना चाहें रोकने केलिये कोई आन्दोज्षन न कोनियेगा। तव तक वो सत्याप्राह को भी स्थगिद करना दोगा। मेरा तो ख्याल है.कि आप

एसा करेगे तो आपका जाम ही होगा औरहमेंमो शांति मिल्ेगी।