पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/४६८

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प्राथमिक समझोता

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झापक। कहना हैकि हड्तालियों पर जुल्म हुआ है।पर भाप

रेस बात को सिद्ध नहीं कर सकंगे । क्योंकि छाप तो कोई सबत ही “ देतानहींचाहते ।इसलिये इस बात का भी आपको पूरा विंचार कर ऐेना चाहिये [४

ईस तरह की भात चीत अनरक्ष स्द्स ने की। मुझे तो

पह मब अनुकृत्ष हो मादूम हुआ। एक घेम-संकट जरूर थाः। हमने सिपाहियों और दारोगांओों के जुल्म कीजो शिकायते' की थी उनको सिद्ध करने का सुयोग बहिष्कार की प्रतिज्ञा केफासण देयें नहीं मिल सकता था| पर इस विपय मे हमारे थीच मतभेद

भो था । एक पक्ष काकहना था कि सिपादियों पर जिस -कातों का

आरोप किया गया हैवे आरतीयों को तरफ से साबित है। जाना पहुंत जररो हैं। इसलिए उनकी यह सूचना थी कि यदि कमिशन के सामने हसअपना सबूत पेश नहीं कर सकते तो।

हमें इन लोगो के खिलाफ इस रूप में फरियाद प्रकाशित करना चाहिये कि जिससे यदि वे ( अ्रभियुक्त )चाहें तो हम पर भरावरू

सफसानी का दावा फर सके ।मेंइस पक्ष का विरोधी था । बहुत सम्भत्र हेकमिशन अपना-निर्णय सरकार के प्रतिकूत् नहीं देगा

लाइवेल (आयरू नुकसादी की फरियाद) पेश करने मे जितनी वाते' प्रकट करने मे फोम को बहुत भारी मोमटों मे पड़ना पढ़ता

फिर इसका परिणाम क्‍या होता ( यही की हमारी फरियाद्‌ सिद्ध

» दस ब्रात का सन्‍्तोष | फिर एक वकीक्ष होने के कारण

मैंउत कठिनाइयों फो भी जोनता था जो लाइबेज् सिद्ध करने में

उपस्थित हो सकती थीं। पर सब्र से जबरदस्त पल्लोत्न तो मेरे पथ चह थी कि सत्याग्रही को तो दुःख दी सहना था । सत्याप्रह शैरूकरने के पदिते हम इस धात को जानते थे कि उसमे इमेंमर-

शत दुख तक सदन करना दोगो ओर इसके लिये हम तैयार भी