पत्र व्यवहार
श्ध्६
हए स्थान स्थान पर सभायें करके मेंलोगों के दवत उस सममौते
गेमंजूर करा सका। लोग भी सत्याग्रह का रहस्य विशेष रूप से प्रमने लग गये। इसे बार के समभौते में श्री एण्ड्यूज मध्यस्थ
गैरसाह्षी थे। उसी प्रकार चाईसराय के राजदूत की हेसियत से २ बेजामिन रॉवटंसन भी थे । अर्थात् यह सममोता मिथ्या द्ोने हैबहुत दीकम भीति थी । यदि मैंहठ पर चढ़ जाता और इस प्मय सममौता नहीं करता तो उल्टा कौस फा ही दोष सममा नाता, भौर जो विजय छ: महद्दीने वाद धमें मिल्ली उसके मिह्ने में
घनेक प्रकार के विध्न खड़े हो जाते 'त्मा घीरत्य भूषणम?
वात्मा वाक्य इसी प्रकार के अनुभवों सेलिखा गया है, जिनमें सत्याप्रही किसी को उ'गली तक बताने का कारण नहीं देता।
श्रविश्वास भी ढर की निशानी है।सत्याग्रह में अवश्य ही निर्भयता
है।निर्मयकोदरकेसे होसकताहै?फिर जहा विरोधीकेविरोधको जीतना है, विरोधीका नाश नहीं करना है. तद्दा अविश्वास क्यों ९ इसलिए कौम के सममौता संजूर करने के बाद अब केवल यूनियन पार्तियामेन्ट की राह देखना थाक्री रह गया। तब तक
पह कम्रिशन तो जौरी ही था। उसमे भारतीयों की तरफ से बहुत फेम गवाह गये । यह इस वात का प्रत्यक्ष प्रमाण था कि कोम पर
सत्याप्रह का कितना प्रभाव था । सर वेंजामिन रॉबटसन ने कई
भारतोयों को साक्षी देने के लिए सममाया । पर जो इने गिने स-
णाप्रह के कट्टर विरोधी थे, उनको छोड़ कर शेष सब अदल रहे |
इस चहिष्कार का प्रभाव जरा भी खराब नहीं हुआ | कमिशन का
काम कम्त होगया। और रिपोर्ट फोरन प्रकाशित हो गई। रिपोर्ट
फमिशन के सम्योंनेइस बातपरजरूर सख्त टीका की थी कि
भारतीयों ने कमिशन की सद्दायता नहीं की । सिपाहियों के दुच्वेबह्दार वाले आगेए को भी विल्कुल उढा दिया गया। पर उद्धने