पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/७३

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दाएण पअपीय शा भार पर

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झांप्रेस के सम्कन्य में में तोवद योइानयाग जानता था हो मैने क्ोगों फीममता दिया। पर दाक के माई था जन मे फाप्रेम फी स्थापना ए६। मारते पी संस्या में और इसरें अश

फर्क था फि नेटाल फी कांग्रेस दमेशा सम्मिलित हुआ हएत

ओऔर यहो उसके समामद दी मश्ते थेजो साल में रुम में इम तीन पौण्ट घना दे समझने थे ।छगर कोई रमसे अपिक टगो है

यह भी ले क्षिया जाता। प्यादा लेने दे लिए पोशिश भा मु की गयी । पोंप-सात सदस्य तो सामाना *ए पीट मी हे

सालाना १२ पौरट देनेवाले नो गिलने्ी थे। एफ मेहीतेई़ अन्दर तीन सौ से धझधिफ मसमामदों के नाम दस ही गए उसमें हिन्दू, मुमज्षमान, पारसी, इमाई आदि जितने भेमे को प्रात्व के लोग ये सभी ये। पहले मात मर छाम गे कोश

घत्षता रहा । बढ़ेन्वे सठ-पाहकार ध्यपनों सं्ारियों पर मठ

बेठकर देहात में नवीन मभासद बनाने और परन्‍्दा इयर

करने के लिए जाते। क्षोंग मांगते ही घंदा दे देते। समन

भर की देर थो। इसमे उनता को एक प्रकार से रालनेंति' शिक्षा मिलदी और घढह परिस्थिति सेभी परिवित्त होती रहठी फिर हर भद्दीने कम-से-क्रम एक बार तो व्मप्रेस थी बढ

जहर द्वोती। उसमें मद्दीन का पाई-पाई का द्विसाव बताया जाए

और बद् मजूर किया जाता

था। उस महीने के अन्दर :

घटनायें होर्वी, वेसुनायीन्‍मममायों जाती ग्रोर फारबाई लिख

जाती । सभासद्‌ भिन्न-भिन्न सवाल पृष्ठते, नये कार्यों

विचार होता ;यह सब करते ममय सभा-समाओं में जोफमी

बोलते ये,वे खड़े द्ोकर निर्मेयतापूषंक बोलने छग गये दे भापण भी बड़ी सावघानी से दिये जाते।ये सव बातें हम

लिए तयी थीं। पर जन्नता इसमें बढ़े दिलचरपी लेदी भ