पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/८६

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भारतीयों ने क्या किया !

से घहुतेर ही तो दक्तिण अफ्रीका के पुराने निवासी थे। और वे खासकर ट्रान्सवाल जाने के लिए आये हुए थे |इन सुसाफिरों को भी डराने के लिए कमेटी ने नोटिस भेजे। स्टीमर के कप्तानों ने ये नोटिस मुसाफिरों को पढ़कर सुना दिये। उनमें साफ-साफ लिखा हुआ था कि नेटाल के गोरे हिन्दुस्तानियों के स्ि तञाफ उभड़े

हुए हैं,और इस हालत को जानते हुए भो यदि कोई हिन्दुस्तानी नहाज से उतरने का प्रयत्त करेंगे, तो बन्द्रगाह पर कमेटी के आदमी हाजिर रहेगे, वे मुस्ाफिरों कोसपुद्र में ढक्रेह देंगे ।

'कोलेंड” के मुमाफिरों को मैंने इस नोटिस का तरजुमा करके युना दिया। 'नादरी' के मुत्ाफिरों को उप्ती पर के किसो अग्रजी जाननेवाले मुसाफिर ने नोटिस का मतलब समझा दिया। दोनों

टीमरों के मुसाफिरों ने लौटने से साफ इन्कार कर दिया | उन्होंने कहा हममें सेअधिकांश को तो 'ट्रान्सवाल' जाना है। जो व्ेटाल मेंउतरना चाहते हैं,उनमें से अधिकाँश खास नेटाल के

पुराने निवासी हैं। पर यह छुछ भी हो प्रत्येक मुसाफिर को जरूर नेटाज्ष मेंउतरने का पूरा कानूनन हक़ है। कमेटी उसका

जी चाहे सो कर ले मुप्ताफिर तो अपने हक़ को सिद्ध करने के लिए जरूर उतरेंगे | आखिर नेटाल की सरकार द्वार गयी ।अनुचित अ्रतिवध कितने दिन तक च्ष सकता है? २-३ दिन बीठ चुके थे। न तो अच्छुल्ना

ढिंगे और न हिन्दुस्तानी मुसाफिर पीछे हंटे |तब प्रतिबन्ध

हटाना ही पड़ा और स्टोमरों को बन्द्रगाह मेंआने की इजाजत मिल्ली । इस अवधि में श्री० ऐस्कत्र ने उत्तेजित कमेटी को शान्त किया। उन्होंने एक सभा नमिमन्त्रित करके उसमें कहा “बेन में गोरों ने खूब एकता और बहादुरी दिखायी । तुम कोगों सेजितना हो सका उतना कर शुजरे। सरकार ने भी हु]