पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/८७

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दक्षिण अफ्रीका का सत्याप्रह

रे

तुर्दारी सहायता को । इन लोगो को २-३ दिन तक आपने

अटकाये रक्खा । अपने हृदूगत्‌ भावों और उत्साह का जो दृश्य आपने दिखाया यही काफी है | बडी सरकारे ( साम्राज्य सरकार ) पर इसका खासा असर पड़ेगा |आपके इस से नेटाज्ञ सरकार का काम वहुत सरल हो गया हैं. । पर अब

यदि आप बल-अयोग से एक भी भारतीय मुसाफिर को जहाज से उततरते हुए रोकेंगे तोआप अपने ही कार्य की द्वानि करेंगे और नाल सरकार को विकट स्थिति में ढाल देंगे | न मानेंगे तो आपको अपने उद्देश में सफलता भी न मिलेगी! बताइए मुसा-

फियों का इसमें क्‍या दोष हे. ? उनमें स्वियाँ और बालक भी

हैं। वे अब वम्बई से जहाज पर सवार हुए, तर उन्हें आपकी मनोद्शा का स्प्त में भीर्यात़् न था। इसलिए अब मेरों तो सलाद हैकि आप अब अपने अपने घर को चले जानें । इन

ज्ञोगों को आते हुए जरा भीन रोके । पर में आपको यह

वचन अभी से दिय देता हूँ कि अब से बहाँ अआरनेषाल्नों पर अक्षुश रखने के लिए नेटाज्ञ सरकार धारासभा से अवश्य प्रवेशप्रतिबन्धक अधिकार प्राप्त कर लेगी ।” मैंने तो यहाँ पर भाषण सार मात्र दिया है । मि० ऐस्कव के श्रोवागण निराश तो

जरूर हुए, पर नटा्ञ के गोरों पर उनका बहुत भारी प्रभाव था।

गोरों ने अपने अपने धर का रास्ता त्षिया और दोनों जदाक बन्दर में“आये ।

मुझे उन्होंने कहा भेजा कि मुझे दिन को जद्दाज से नहीं

उतरना चाहिये। शाम को पोर्ट के सुपरिन्देन्डेन्ट मुमे!ः लिया. ले जाने के लिए आवेंगे उनके साथ मेंघर को चत्ना जाऊँ।

हों,मेरी पत्नी बगेरा जब चाहें उतर सकते ये । यद्द कोई '

चाजाच्ता हुक्‍्स नथा। पर कप्तान से सिफारिश की गई थी