पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/९

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४ दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह चढवाण स्टेशन पर यह दरजी एक छोटी-मो जमात लेकर आया था। उसने विरमगाम की कुछ बातें सुनाकर मुझसे कहा कि इस मुसीवत का कुछ इलाज फोनिए । काठियावाड में आपने जन्म लिया है, उसे मफ कीजिए। उसको आँखों में दृढवा और करुणा दोनों थी। मैंने पूछा-'आप जेल जाने को तैयार है? तुरन्त उत्तर मिला-'हम नो फाँसी घटने तक को तैयार हैं।' मैंने कहा-'मुझे जेल हो काफी है। पर देखना, विश्वासघात न हो। मोतीलाल ने कहा-'यह तो अनुभव से मालूम हो जायगा । ' मैं राजकोट पहुँचा । अधिक व्यौरा जाना । मरकार माथ लिखा-पढ़ी शुरू की बगसरा आदि के व्याख्यानों में कहा कि यदि चंगी के लिए तरूरत पड़े, तो मत्याग्रह करने के लिए तैयार रहना। यह व्याख्यान मरकार की खुफिया पुलिस ने नरकार के दफ्तर मै पहुँचाया । पहुँचानेवाले ने सरकार की सेवा के माथ ही साथ, अनजान में, देश की भी मेवा को । अन्त में लॉर्ड चेम्सफर्ड के साथ उसके विषय में बातचीत हुई और उन्होंने अपने वचन का पालन किया। हाँ, मैं जानता हूँ कि औरों को भी इसके लिए प्रयास करना पड़ा है । परन्तु मेरा यह निश्चित मत है कि सत्या- मह होने की संभावना हो चुगी के रद होने का कारण थी। इसके बाद गिरमिटिया कानून की बारी आयी। इस कानून को रद कराने के लिए बहुत प्रयत्न किये गये थे । उसके लिए आम तौर पर आन्दोलन भी खुब किया गया था। बंबई में समा हुई और उसमें गिरमिट बन्द करने की तारीख ३१ जुलाई १८१७ ये की गयी थी। वह तारीख क्यों मुफर हुई, इसका इतिहास यहाँ नहीं दिया जा सकता । उस आन्दोलन के सिलसिले में वाइसराय के पास पहले बहनों का एक शिष्ट मंडल गया । उसमें काठियावाड का एक मुकाम