पृष्ठ:दासबोध.pdf/११५

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दासबोध। [ दशक २ ऊपर यह शबल रजोगुण संक्षेप से बतलाया।अब, जिससे परमार्थ हो सकता है वह, शुद्ध रजोगुण है ।। ४० ।। उसके लक्षण सतोगुण में जान पड़ेंगे-वह रजोगुण पूर्णतया, भजन का मूल है ॥४१॥ श्राशा है कि अब श्रोता लोग रजोगुण का लक्षण समझ गये होंगे; अतएव, श्रव, आगे तमोगुण का वर्णन सुनना चाहिए ॥ ४२ ॥ छठवाँ समास-तमोगुण-निरूपण । ॥ श्रीराम ।। पिछले समास मै क्रियायुक्त रजोगुण के लक्षण बतलाये; अव तमोगुण का वर्णन सुनोः वह भी बतलाते हैं ॥१॥ संसार में दुख का सम्बन्ध प्राप्त होते ही खेद उठता हो या अद्भुत क्रोध आता हो तो वह तमोगुण का लक्षण है ॥२॥ क्रोध श्राने पर जो माता, पिता, बन्धु, बहिन और स्त्री आदि का कुछ भी विचार न करके ताड़ना करे तो इसे तमोगुण का लक्षण समझो ॥ ३॥ क्रोध से वेहोश होकर दूसरों के प्राण ले ले और स्वयं 'अपने भी प्राण दे दे तो इसे तमोगुण जानो ॥ ४॥ क्रोध का संचार होने पर जो पिशाच के समान घूमता हो और अनेक उपायों से भी न रुकता हो तो इसे तमोगुण जानो ॥ ५॥ आपही आप अपनेको शस्त्र मार ले और दूसरों का भी घात करे तो यह तमोगुण का लक्षण है॥६॥युद्ध देखने और रणांगण में जाने की इच्छा होना तमोगुण का लक्षण है ॥७॥ सदा भ्रान्ति में रहना, किया हुआ निश्चय डिग जाना और बहुत सोना तमो- गुण है ।। ८॥ मीठे और कडुवे का भी विचार छोड़ कर बहुत खाना अथवा अत्यन्त मूढ़ होना तमोगुण का चिन्ह है ॥ ६॥ किसीका कोई प्रेमी भर गया हो और उसके लिए यदि वह जीव दे दे या आत्महत्या कर ले, तो यह तमोगुण है ॥ १०॥ यदि कीड़ा, चीटी और दूसरे बनले जन्तुओं का वध करने में प्रीति हो और अत्यन्त निर्दयी हो तो यह तमी- गुण का लक्षण है ॥ ११॥ द्रव्य के लिए स्त्री, वालक, ब्राह्मण और गौ आदि की हत्या करता हो तो यह तमोगुण है ।। १२ ।। किसी प्रकार की वाधा में आकर विष खा लेने की इच्छा हो या दूसरे की जान लेने की इच्छा हो तो यह तमोगुण है ॥ १३ ॥ अन्तःकरण में कपट रख कर दूसरे का यदि चौपट (सत्यानाश) करे और सदा मस्त और उद्धेट रहे तो यह तमोगुण है ।। १४ ।। लड़ाई-झगड़े की इच्छा होना और मन में द्वेष