पृष्ठ:दासबोध.pdf/२९७

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२१६ . दासबोध। [ दशक ८ . ओर से खुला हुआ ही है ॥ ४२ ॥ दूर से देखने पर पर्वतों में नीला रंग सा देख पड़ता है; पर वह वास्तव में उनमें नहीं है । इसी प्रकार निर्गुण ब्रह्म में भी गुणों का भास होता है; पर वास्तव में वह उनसे बालप्त है. ॥४३॥ रथ (अथवा अाजकल रेल गाड़ी) दौड़ते समय पृथ्वी चलती हुई मालूम होती है; पर सचमुच में है वह निश्चल-इसी प्रकार परब्रह्म निर्गुण और केवल है ॥ ४४ ॥ बादल के कारण, चन्द्र दौड़ता सा मालूम होता है; पर यह सब मिथ्या है; बादल दौड़ता है ! ॥ ४५ ॥ ऊष्ण वायु (लू) अथवा अग्निज्वाल (भाग की लपट) से अंतराल (वातावरण) कंपित सा मालूम होता है; पर यह भ्रम है-वह जैसा का तैसा निश्चल रहता है ॥४६॥ वैसे ही परब्रह्म का स्वरूप, निर्गुण होने पर भी, माया के कारण सगुण सा मालूम होता है; पर यह केवल कल्पना का भ्रम है ॥४७॥ दृष्टिवंधन (नजरबन्दी) के खेल के समान यह माया चंचल या मिथ्या है; और 'वस्तु ' जैसी की तैसी शाश्वत और निश्चल है ॥४८॥ परन्तु, माया निराकार वस्तु' को साकार बनाती है-इसका ऐसा ही स्वभाव है-यह बड़ी ढोगिन है ! ॥ ४६॥ माया देखने में तो कुछ भी नहीं है। पर यह सच सी भासती है-यह मेघाडम्बर की तरह उद्भूत होती है, और नाश होती है ॥ ५० ॥ इस प्रकार, माया उद्भूत होती है पर 'वस्तु' निर्गुणं बनी रहती है। ब्रह्म में अहंरूप जो स्फूर्ति होती है वहीं भाया है ॥ ५१ ॥ गुण तो माया के खेल हैं-निर्गुण में गुण आदि कुछ भी नहीं है; परन्तु यह (माया) सत्स्वरूप में उत्पन्न और नाश हुआ करती है। 1.५२ ॥ जिस प्रकार दृष्टि के चकाचौंध से आकाशं में सेना, या एक प्रकार के पुतले से, नाचते हुए देख पड़ते हैं; पर हैं वे मिथ्या ॥ ५३ ॥" उसी प्रकार यह सब माया का खेल मिथ्या है। अस्तु । यह उसका सारा उद्भव, नाना तत्वों का पवाड़ा छोड़ कर, बतला दिया गया ॥ ५४॥ पञ्चमहातत्व, आदि से ही, मूलमाया में रहते हैं । ओंकार वायु की गति है-अर्थात् स्फूर्ति ही वायु का रूप है । इसका अर्थ दक्ष ज्ञानी पुरुष जानते हैं ॥ ५५ ॥ मूलमाया का चलन ही वायु का लक्षण है । मूल के

  • गुण तो सिर्फ माया का पसारा है, निर्गुण में यह कुछ नहीं होता; किन्तु उसके

अधिष्ठान या साक्षित्व से यह सब होता, जाता है । जिस प्रकार रस्सी के अधिष्ठान से भुजंग का भास होता है; पर वास्तव में रस्सी, रस्सी ही है उसी प्रकार निर्गुण ब्रह्म में यह माया होती और जाती है; पर निर्गुण, निर्गुण ही बना रहता है। .