पृष्ठ:दासबोध.pdf/८२

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हिन्दी-दासबोध । पहला दशका पहला समास-ग्रन्थारम्भ-निरूपण । ॥ श्रीराम ॥ श्रोता पूँछते हैं कि यह कौन ग्रन्थ है। इसमें क्या कहा है। और इसके श्रवण करने से क्या प्राप्त होता है ॥१॥ उत्तरः-इस ग्रन्थ का नाम दास- बोध है । इसमें गुरु और शिष्य का संवाद है और इसमें स्पष्टरूप से भक्ति- मार्ग कहा गया है ॥२॥ इस ग्रन्थ में नवविधा भक्ति, ज्ञान, वैराग्य का लक्षण और बहुत करके अध्यात्मनिरूपण किया गया है ॥३॥ इस ग्रन्थ का यह अभिप्राय है कि भक्ति के योग से मनुष्य निश्चय करके ईश्वर को प्राप्त करता है ॥ ४ ॥ मुख्य भक्तिः, शुद्ध ज्ञान, आत्मस्थिति, शुद्ध उपदेश, सायुज्यमुक्ति, मोक्षप्राप्ति, शुद्ध स्वरूप, विदेहस्थिति, अलिप्तता, मुख्य देव, मुख्य भक्त, जीव तथा शिव, अर्थात् जीवात्मा और परमात्मा, मुख्य ब्रह्म, नाना मत, आदिबातों का इस ग्रन्य में निश्चय किया गया है और यह भी बतलाया गया है कि 'मैं क्या है। मुख्य उपासना, नाना प्रकार का कवित्व, नाना प्रकार का चातुर्य, मायोद्भव, अर्थात् माया की उत्पत्ति, पंचभूत और कर्त्ता आदि के लक्षण इस ग्रन्थ में कहे गये हैं ॥ ५-११ ॥ इसमें नाना प्रकार के संशय या सन्देह और आशंकाएं मिटाई गई हैं, तथा बहुत प्रकार के प्रश्न समझाये गये हैं ॥ १२ ॥ इस प्रकार उपर्युक्त विषयों का बहुधा इस ग्रन्थ में निरूपण किया गया है। समस्त ग्रन्थ में जो कुछ कहा गया है उतने सब का खुलासा इस स्थान में बतलाया नहीं जा सकता ॥ १३॥ तथापि, पूरा दासबोध बीस दशकों में विभाजित करके स्पष्ट कर दिया है और प्रत्येक दशक का विषय उसीमें कह दिया है ॥ १४ ॥ अनेक ग्रन्थों की सम्मति, उपनिषद्, वेदान्त, श्रुति, शास्त्र और मुख्य आत्मप्रतीति, (अर्थात् वयं रामदास स्वामी ने परमार्थ मार्ग में जो अनुभव प्राप्त किया उसके), आधार पर इस ग्रन्थ की रचना हुई है ॥१५॥ बहुत से ग्रन्थों की सम्मति के योग से यह ग्रन्थ रचा गया है,. इस लिये इसे मिथ्या नहीं कह सकते । तथापि यह बात अव प्रत्यक्ष