पृष्ठ:दासबोध.pdf/९४

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समास ७.] कवीश्वर-स्तुति । २३ साधन और सिद्ध पुरुषों के समाधान हैं।॥१०॥कवि स्वधर्म के आश्रय, मन के मनोजय और धार्मिक पुरुष के विनय और विनय-शिक्षक है ॥ ११ ॥ कवि वैराग्य की रक्षा करनेवाले और भक्तों के भूषण हैं। कवि अनेक प्रकार से स्वधर्म की रक्षा करनेवाले हैं ॥१२॥ कवि प्रेमियों की प्रेमस्थिति, ध्यानस्थों की ध्यानमूर्ति और उपासकों की बढ़ती हुई कीर्ति है ॥ १३ ॥ कवि लोग अनेक साधनों के मूल, और नाना प्रकार के प्रयत्नों के फल हैं । केवल कचियों के ही प्रसाद से बहुत से कार्यों की सिद्धि होती है ॥१॥ कवि के वाग्विलास के कारणही मनुष्यों को कविता का आनन्द मिलता है और उसीके कारण कविता बनाने की स्मृति होती है ॥ १५ ॥ कवि, विद्वानों की योग्यता, सामर्थ्यवानों की सत्ता और विचक्षणों की नाना प्रकार की कुशलता हैं ॥ १६ ॥ कवि लोगही काव्यप्रवन्ध, नाना प्रकार के छन्द, गद्यपद्य-भेदाभेद, पदप्रास आदि के कर्ता हैं ॥ १७ ॥ कवि सृष्टि के अलंकार, लक्ष्मी के शृंगार और सकल' सिद्धि के निर्धार हैं ॥ १८ ॥ कवि सभा के मंडन और भाग्य के भूपण है, तथा कविही नाना प्रकार के सुख का संरक्षण करते हैं ॥ १६॥ कवि देवों का रूप, ऋपियों का महत्त्व और अनेक शास्त्रों के सामर्थ्य का बखान करनेवाले हैं ॥ २०॥ यदि कवि का व्यापार न होता तो जगत् का उद्धार कैसे होता? इसी लिए तो कवि सकल सृष्टि के आधार हैं ॥ २१ ॥ नाना प्रकार की विद्या और जो कुछ ज्ञान है वह कवियों के बिना नहीं मिलता। कवियों से ही सब सर्वज्ञता प्राप्त होती है ॥२२॥ प्राचीन समय में वाल्मीकि, व्यास, आदि अनेक कवीश्वर होगये । उन्हींसे सब लोगों को ज्ञान मिला है ॥ २३ ॥ पहले काव्य किये गये थे, तभी तो विद्वत्ता और योग्यता प्राप्त हुई । काव्यों से ही पंडितों को योग्यता प्राप्त हुई है ॥२४॥ अतएव प्राचीनकाल में जो वहुत से बड़े बड़े कवीश्वर हो गये, अब जो हैं और आगे जो होनेवाले हैं, उन सब को मैं नमन करता हूं ॥ २५ ॥ कवि मानो अनेक प्रकार के चातुर्य की मूर्ति है- मानों वे साक्षात् वृहस्पति हैं, जिनके मुख से वेद और श्रुतियां बोलना चाहती हैं ॥ २६ ॥ कवि लोग परोपकार की अनेक युक्तियाँ बतलाते हैं और अन्त में सब प्रकार संशय मिटा देते हैं ॥ २७॥ मानो ये (कवि) अमृत के मेघ संसार पर प्रसन्न हुए हैं, अथवा ये नवरसों के सोते वह रहे हैं, या नाना प्रकार के मुखों के ये सरोवर उमड़े हैं ॥२८॥ अथवा ये विवेक के भांडार मनुष्य के आकार में प्रगट हुए हैं, जो अनेक विषयों के ज्ञान से भरे हुए हैं ॥ २६ ॥ अथवा यह (कवि), अनेक उत्तम पदार्थों से भी बढ़ कर आदिशक्ति की धरोहर है, जो संसारी लोगों को पूर्वसंचित